उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गोवा कांग्रेस प्रमुख की याचिका पर न्यायालय ने सुनवाई टाली

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गोवा कांग्रेस प्रमुख गिरीश चोडनकर की एक याचिका पर सुनवाई टाल दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गोवा कांग्रेस प्रमुख गिरीश चोडनकर की एक याचिका पर सुनवाई टाल दी।

याचिका में बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें राज्य विधानसभा अध्यक्ष के 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए पार्टी के 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली उनकी याचिका को खारिज करने के आदेश को बरकरार रखा गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने 24 फरवरी, 2022 को विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता चोडनकर और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक द्वारा दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कांग्रेस के जहां 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, वहीं एमजीपी के दो विधायकों ने भाजपा के प्रति निष्ठा बदल ली थी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने मामले को यह कहते हुए टाल दिया कि इसे ‘नॉन मिसलेनियस डेज’ (मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार) को सुना जाना चाहिए।

‘मिसलेनियस डेज’ (सोमवार व शुक्रवार) में केवल नई याचिकाएं ही ली जाती हैं। छुट्टियों के बाद उच्चतम न्यायालय के फिर से खुलने के बाद पहले सप्ताह के सभी कार्य दिवस और इसके एक दिन के लिए बंद होने से एक सप्ताह पहले के सभी कार्य दिवस ‘मिसलेनियस डेज’ हैं।

चोडनकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि अदालत के समक्ष विचाराधीन प्रश्न यह है कि क्या किसी विधायक दल के सदस्य किसी अन्य दल में क्या इस सबूत के बिना विलय कर सकते हैं कि राजनीतिक दल विभाजित हो गया है।

विधानसभा अध्यक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि यह मुद्दा अब केवल अकादमिक चर्चा तक सीमित रह गया है क्योंकि जिन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी, वे 2017 में चुने गए थे। गोवा में पिछला विधानसभा चुनाव 2022 में हुआ था।

नटराज ने कहा, “यह पूरी तरह अकादमिक कवायद है।”

शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में चोडनकर ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने अध्यक्ष राजेश पाटणकर के आदेश को बरकरार रखने में इस गलत आधार पर गंभीर त्रुटि की है कि चूंकि 10 विधायक विधायक दल के दो-तिहाई सदस्य हैं, और उन्होंने किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करने का फैसला किया है, वे दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 4 के तहत दिए गए संरक्षण के पात्र हैं।

दसवीं अनुसूची का अनुच्छेद 4 दलबदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है लेकिन यह विलय के मामले में लागू नहीं होता है।

 










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