पेटीएम के खिलाफ कार्रवाई पर कांग्रेस का आरोप, मोदी सरकार में नियामक संस्थाओं को नष्ट किया जा रहा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की कार्रवाई को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए दावा किया कि मोदी सरकार के शासनकाल में नियामक संस्थाओं को ‘नष्ट’ किया जा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की कार्रवाई को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए दावा किया कि मोदी सरकार के शासनकाल में नियामक संस्थाओं को ‘नष्ट’ किया जा रहा है।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPBL) के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आरबीआई ने बुधवार को बैंक को 29 फरवरी के बाद किसी भी ग्राहक खाते, वॉलेट, फास्टैग और अन्य उपकरणों में जमा या टॉप-अप स्वीकार नहीं करने का निर्देश दिया।
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राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘संस्थाओं की स्वतंत्रता को खत्म कर सरकार कैसे देश को बर्बादी की राह पर ले आई है पेटीएम ‘फ्रॉड’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ अखबारों में फुल पेज विज्ञापन देने वाले पेटीएम पेमेंट बैंक के फ्रॉड पर सेबी और आरबीआई जैसे नियामक संस्थान मूक दर्शक बने रहे।’’
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘जनता की मेहनत की कमाई लूटकर बड़ी बनी बहुत सी कंपनियों को ऐसे ही राजनीतिक संरक्षण ने बचा रखा है। नियामक संस्थानों का पतन, जनता के साथ लूट की गारंटी है।’’
वाद्रा ने कहा कि नोटबंदी से पेटीएम को काफी मुनाफा हुआ और विज्ञापनों के मुताबिक इसमें सरकार की मदद भी शामिल थी। उन्होंने कहा, जब कंपनी ने बहुत ऊंची कीमत पर अपने शेयर जारी किए तो आम मध्यम वर्गीय भारतीयों ने उन्हें बड़ी संख्या में खरीदा।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘कल अचानक आरबीआई ने वित्तीय अनियमितताओं के कारण इस कंपनी के कामकाज पर प्रतिबंध लगा दिया।’’
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उन्होंने कहा कि पेटीएम के शेयरों में 75 फीसदी की गिरावट आई है और खबरों के मुताबिक, करीब 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
वाद्रा ने कहा, ‘‘यह उन हजारों-लाखों ईमानदार भारतीयों की कमाई का नुकसान है, जिन्होंने इस कंपनी के शेयर खरीदे थे। मोदी जी के शासन में देश की सभी संस्थाएं नष्ट की जा रही हैं। अगर आज सेबी और आरबीआई स्वतंत्र होते तो आम भारतीयों के ये पैसे बचाये जा सकते थे।’’