DN Exclusive: आखिर क्यों मौत को गले लगा रहे हैं भारत के लोग..जानिये दर्दनाक हकीकत

डीएन ब्यूरो

कहते हैं कि जीवन से बढ़कर कुछ भी नहीं होता। लेकिन कई बार इंसान जीवन के पथ से भटक जाता है और ऐसे कदम को उठा बैठता है जिससे न सिर्फ वह जिंदगी से हाथ धो बैठता है बल्कि अपने परिवार को भी बीच मझधार में छोड़ जाता है। आखिर क्यों ऐसे कदम को उठा रहे हैं भारत के लोग। पढ़ें, डाइनामाइट न्यूज़ की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर


नई दिल्लीः भागदौड़ भरी इस जिंदगी में हर कोई इतना व्यस्त है कि उसे न तो ढ़ंग से खाने की फुरसत है न ही अपने परिजनों के साथ बेहतर समय बिताने की। इससे न सिर्फ मनुष्य तनाव का शिकार हो रहा है बल्कि वह आत्महत्या जैसे कदम भी उठा रहा है। कई कारणों में भारत में आत्महत्या के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे है और आत्मगत्या करने वालों में सामान्य आदमी से लेकर ऊंचे ओहदे वाले भी शामिल है। आखिर क्यों उठ रहें हैं आत्मघाती कदम, जाने इसकी हकीकत..

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट

1. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल आठ लाख लोग खुदकुशी कर रहे हैं।

2. आज ज्यादातर लोग इतने तनावग्रस्त हो चुके हैं कि वे जीवन से उब चुके हैं। यानी अब उनमें जीवन जीने की इच्छा ही खत्म हो चुकी है। यहीं वजह है कि विश्व में प्रत्येक चालिस सेकेंड में कोई न कोई एक आत्महत्या कर रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर 

3. आत्महत्या के मामलों की बात करें तो विश्व में भारत 43वें नंबर पर है। ये आंकड़े इसलिए भी हैरान कर देने वाले हैं क्योंकि भारत विकासशील राष्ट्र है जो कि आने वाले सालों में विकसित राष्ट्रों की राह पर चलेगा।

4. अनिद्रा, तनाव, दिनचर्या में बदलाव व उचित व्यायाम से मुंह मोड़कर रात- रातभर पब-बार में पार्टियां करना ये सब ऐसे कुछ पहलू है जिन पर अगर समय पर रोक नहीं लगाई गई तो भारत जो अभी आत्महत्या के मामले में 43 नंबर पर है यह आंकड़ा आगे चलकर और गिर सकता है।

5. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में कोई न कोई व्यक्ति जिंदगी से हाथ धो रहा है। अब इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो लेकिन हर 15 मिनट में एक शख्स की मौत होना यह बेहद की दर्दनाक और डरावनी स्थिति है।

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6. सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि इन आत्महत्या करने वालों में 10 से 19 वर्ष के बीच आयु वाले बच्चों की तादाद ज्यादा है। 

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7. उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों के लोगों ने आत्महत्या जैसे कदम ज्यादा उठाए है। जो कि भारत के अन्य राज्यों के अलावा कहीं अधिक है। 

 लोग क्यों उठा रहे आत्महत्या जैसे कदम, कैसे होगा बचाव

हर कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में सफलता के श्रेष्ठ स्तर को छूना चाहता है। इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है। यहीं वजह है कि सवा सौ करोड़ वाले भारत में जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन महंगाई, बेरोजगारी व भुखमरी पर लगाम नहीं लग रहा है। 

सोशल मीडिया के बढ़ते चलन, एक दूसरे को देखकर ईर्श्या करना ये सब ऐसे कारण है जहां कोई भी भ्रमित होकर अपनी सोचने की क्षमता को खो उठता है और अंत में वह मृत्यु को गले लगाना बेहतर समझता है। 

इस बारे में मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऐसे लोग जो आत्महत्या के बारे में सोचते है उनके व्यवहार में परिवर्तन साफ तौर पर देखने को मिलता है। इसलिए समय रहते अगर किसी को भी ये लगे कि उसका सगा-संबंधी आत्महत्या जैसे कदम उठाने जा रहा है तो उससे बातचीत करके जिंदगी की अहमियत के बारे में बताए और समय रहते उसका किसी मनोचिकित्सक से परामर्श करवाए।
 










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