River Front Scam: यूपी के रिवर फ्रंट घोटाले में लखनऊ समेत कई ठिकानों पर CBI की छापेमारी
उत्तर प्रदेश के चर्चित रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई टीम द्वारा राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में छापेमारी की गई है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये इस खबर से जुड़ा अपडेट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई की एंटी करप्शन विंग 1400 करोड़ रूपये के इस घोटाले को लेकर राजधानी लखनऊ समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। यूपी में राजधानी लखनऊ के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और रायबरेली में छापेमारी की गई है।
#Breaking CBI conducts multiple raids in Ghaziabad, Lucknow, Agra in connection with UP’s Gomti riverfront project with worth around 1400 crores. Earlier CBI had registered a case against public servants and unknown persons in this regard.
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— Dynamite News (@DynamiteNews_) July 5, 2021
जानकारी के मुताबिक रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई की टीम ने यूपी के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी छापेमारी की है। इस केस में सीबीआई द्वारा पहले ही सार्वजनिक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों समेत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चुका है। बताया जाता है कि इस केस में अब तक कुल 190 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
सीबीआई द्वारा अब लखनऊ, कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ़, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा में एक साथ छापेमारी की गई। यूपी के 13 जिलों में छापेमारी के साथ 42 ठिकानों में तलाशी हो रही है। सीबीआई ने कई सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
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बता दें कि कि रिवर फ्रंट घोटाला यूपी की पूर्व सपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था। लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे। आरोप है कि 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी इस योजना पर मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था।
यूपी में 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था। जांच में सामने आया कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था, जिसके बाद मामला सीबीआई के पास है और सीबीआई टीम द्वारा इस केस में छापेमारी की जा रही है।