क्या आम नागरिक संसद में खड़े होने का अधिकार मांग सकते हैं, जानिये सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और अन्य को एक ऐसी प्रणाली बनाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जो नागरिकों को संसद में याचिका दायर करने और उनके द्वारा उजागर किए गए मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू करने का अधिकार देती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और अन्य को एक ऐसी प्रणाली बनाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जो नागरिकों को संसद में याचिका दायर करने और उनके द्वारा उजागर किए गए मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू करने का अधिकार देती है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि एक नागरिक संसद में खड़े होने का अधिकार नहीं मांग सकता है।

पीठ ने कहा, “जिन राहतों की मांग की गई है, वे खासतौर पर संसद के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। इस तरह के निर्देश संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर इस न्यायालय द्वारा जारी नहीं किए जा सकते हैं।”

पीठ ने कहा, “तुषार मेहता, सॉलिसिटर जनरल और ऐश्वर्या भाटी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अदालत की सहायता के उद्देश्य से कहते हैं कि याचिकाओं की प्राप्ति के लिए एक प्रक्रिया पहले से ही मौजूद है, जिन पर याचिका समिति द्वारा विचार किया जाता है। लिहाजा, याचिका खारिज की जाती है।”










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