

उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार को बुलंदशहर और गाजियाबाद में बिजली पंचायत का आयोजन हुआ हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
फतेहपुर: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार को बुलंदशहर और गाजियाबाद में बिजली पंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को भ्रष्टाचार से प्रभावित बताते हुए तत्काल रद्द करने की मांग उठाई गई। पंचायत में बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं ने भाग लिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में पारदर्शिता की बात कर रहे हैं, लेकिन पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन इस नियम को ताक पर रखकर बिजली के निजीकरण में भ्रष्टाचार कर रहा है। बिडिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की अनदेखी कर ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि निजीकरण के विरोध में प्रदेश के हर जिले में बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी। इसके तहत 24 मार्च को मेरठ और 29 मार्च को वाराणसी में महापंचायत होगी, जबकि 9 अप्रैल को लखनऊ में विशाल रैली निकाली जाएगी।
बुलंदशहर और गाजियाबाद की पंचायत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों में निजीकरण प्रक्रिया रद्द करने की मांग की गई। इसके अलावा वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मथुरा, झांसी, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या समेत कई जिलों में बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।