महराजगंज में भूमाफियाओं का बड़ा फर्जीवाड़ा, सरकारी स्वामित्व वाली डीएम के नाम की भूमि का बैनामा, खतौनी से इस तरह कटवाया नाम

डीएन संवाददाता

यूपी के महराजगंज जनपद में भूमाफियाओं का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकारी स्वामित्व वाली डीएम के नाम की भूमि का भूमाफियाओं ने बैनामा करवा दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भूमाफियाओं ने डीएम के नाम की भूमि का करवाया बैनामा
भूमाफियाओं ने डीएम के नाम की भूमि का करवाया बैनामा


महराजगंज: जनपद में भूमाफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद है कि सरकारी स्वामित्व वाली डीएम के नाम भूमि भी नही बच पा रही हैं। जनपद में भूमाफियाओं का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकारी स्वामित्व वाली डीएम के नाम की भूमि का भूमाफियाओं ने बैनामा करवा दिया। माफियाओं ने पहले मिलीभगत से खतौनी से कलेक्टर का नाम हटवाया और बाद में उस भूमि की एक नहीं बल्कि दो रजिस्ट्री भी हो गई। इस मामले की जानकारी होते ही हड़कंप मच गया है। डीएम ने पूरे मामले में उपजिलाधिकारी सदर से जांच सौंपते दी है और भूमि की खारिज दाखिल की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। 

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार राजस्व विभाग में प्रत्येक छह वर्ष पर खतौनी का संशोधन कर पुराने आदेशों के आधार पर नए नाम चढ़ाए जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया तहसील न्यायालयों के आदेश के अनुक्रम में राजस्व कानूनगो और संबंधित लेखपाल द्वारा की जाती है। 

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नगर पालिका क्षेत्र स्थित चिउरहां मऊपाकड़ स्थित करीब नौ डिसमिल भूमि जो चकबंदी के बाद से ही राजस्व विभाग के अभिलेखों में जरे इंतजाम कलेक्टर के नाम से दर्ज है। वर्ष 2010 से 2016 वाली खतौनी में यह नाम दर्ज था, लेकिन वर्ष 2017 में हुई खतौनी संशोधन में जरे इंतजाम कलेक्टर का नाम खतौनी से गायब करके अन्य खातेदारों को सीधे उस भूमि का स्वामी बना दिया गया।  

उसी भूमि में पहले नंवबर 2021 में साढ़े चार डिसमिल और फिर अक्टूबर 2022 में साढ़े चार डिसमिल भूमि को बैनामा कर दिया गया। 

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दोषियों पर होगी कार्रवाई
मामला सामने आते ही जिलाधिकारी के निर्देश के क्रम में संबंधित मामले की जांच की जा रही है। अबतक की जांच में संबंधित भूमि पुराने अभिलेखों में जरे इंतजाम कलेक्टर के नाम से दर्ज हैं। वर्ष 2017 में संशोधित हुई खतौनी में कूटरचित तरीके से जरे इंतजाम कलेक्टर का नाम काटने की पुष्टि हुई है। साथ ही गतल तरीके से सरकारी भूमि का बैनामा भी कराया गया है। इसमें कूटरचना कर नाम काटने वाले कर्मचारी समेत सरकारी संपत्ति को गलत तरीके से बेचने और खरीदने वाले की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी, साथ ही इन दोनों बैनामे को भी खारिज करने की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही मामले में कार्रवाई की जाएगी।










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