Jammu and Kashmir: भीषण ठंड से जूझ रहे कश्मीरी कांगड़ी और हमाम का ले रहे सहारा

डीएन ब्यूरो

कश्मीर के निवासी भीषण ठंड से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों की ओर लौट रहे हैं, क्योंकि बार-बार और अनिर्धारित बिजली कटौती ने आधुनिक हीटिंग गैजेट को बेकार कर दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भीषण ठंड के चलते पारंपरिक उपायों का प्रयोग कर रहे कश्मीरी
भीषण ठंड के चलते पारंपरिक उपायों का प्रयोग कर रहे कश्मीरी


श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। शीत लहर के बीच बार-बार अघोषित बिजली कटौती के कारण ठंड से बचाने वाले बिजली से चलने वाले आधुनिक उपकरण नाकाम साबित हो रहे हैं। इसलिए कश्मीर के निवासी भीषण ठंड से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों की ओर लौट रहे हैं, क्योंकि बार-बार और अनिर्धारित बिजली कटौती ने आधुनिक हीटिंग गैजेट को बेकार कर दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दी चिल्ला-ए-कलां चल रही है। श्रीनगर शहर में शनिवार को 33 साल की सबसे ठंडी रात रही, जब न्यूनतम तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया।

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वहीं घाटी के अन्य स्थानों पर भी तापमान शून्य से नीचे चला गया, जिससे कई इलाकों में पानी की आपूर्ति करने वाली पाइपें जम गईं।

जानकारी के अनुसार पिछले कुछ दशकों में शहरी कश्मीर के निवासियों ने पारंपरिक हीटिंग व्यवस्थाओं - लकड़ी से बने 'हमाम', 'बुखारी' और विकर-मिट्टी के बर्तन 'कांगड़ी' - को छोड़ दिया था, क्योंकि साल दर साल बिजली की आपूर्ति में सुधार होने लगा था।

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पुराने शहर के रैनावारी क्षेत्र निवासी अब्दुल अहद वानी ने बताया कि उन्होंने अपने लकड़ी जलाने से गर्म होने वाले हमाम को बिजली से संचालित हमाम में बदल दिया है। वानी ने कहा कि मैंने सोचा था कि लकड़ी का हमाम इस्तेमाल करना मुश्किल भरा है और बिजली द्वारा संचालित हमाम बेहतर होगा क्योंकि यह एक बटन दबाते ही चालू हो जाता है।

लेकिन बाजार में एलपीजी तथा केरोसिन की सीमित आपूर्ति और बिजली की कमी के कारण लकड़ी एवं चारकोल जैसे पारंपरिक ईंधन बेचने वालों का कारोबार अच्छा हो रहा है। जलाने में उपयोग होने वाली लकड़ियों का व्यापार करने वाले मोहम्मद अब्बास जरगर ने कहा कि इस सर्दी में लकड़ी की मांग अच्छी रही है। लोगों के ठंड से बचने के लिए लकड़ियों से बेहतर कुछ भी नहीं है।










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