Maharaja Suheldev-: जानिये महाराजा सुहेलदेव जी के बारे में, बहराइच में बनेगा जिनका भव्य स्मारक स्थल, CM योगी ने रखी नींव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक स्थल की आधारशिला रखने जा रहे हैं। पीएम मोदी भी वर्चुअल तरीके से इस इवैंट में शामिल हो रहे है। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट में जानिये महाराजा सुहेलदेव जी के बारे में

Updated : 16 February 2021, 12:41 PM IST
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लखनऊ: भारत कीआजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महाराजा सुहेलदेव जी की जयंती पर आज उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आझ इ खास मौके पर बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक स्थल की आधारशिला रखी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में पहुंचे हैं और पीएम मोदी भी वर्चुअल तरीके से इस आयोजन का हिस्सा बने। पीएम मोदी ने इस मौके पर महाराजा सुहेलदेव जी की गाथा की भी गुणगान किया। डाइनामाइट न्यूज की इस खास रिपोर्ट में जानिये सुहेलदेव जी महाराज के बारे में

भारत के इतिहास में महराजा सुहेलदेव की गिनती एक महान सम्राट, सहसिक राजा और विजेता के रूप में की जाती है। महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे। पौराणिक कथा के अनुसार, सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे। महमूद गजनवी द्वारा भारत पर किये गये आक्रमण की कहानी से हर कोई वाकिफ है लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को है कि महमूद गजनवी के हौसले पस्त करने वाले महान योद्धा महराजा सुहेलदेव जी ही थे। महमूद गजनवी ने जिस समय भारत पर आक्रमण किया था, उस समय श्रावस्ती साम्राज्य की कमान महाराजा सुहेलदेव के हाथ में ही थी। लेकिन महाराजा सुहेलदेव ने महमूद गजनवी के इरादों पर पानी फैर दिया था।

भारत पर आक्रमण के समय महमूद गजनवी और उसकी अलग-अलग सेनाएं अलग-अलग स्थानों से भारत में घुस रही थीं। यह महमूद गजनवी के आक्रमण का एक खास तरीका था। महमूद गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी ने  भारत के कई हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया था। लेकिन जब वो बहराइच की तरफ आया, तब उसका सामना महान योद्धा महाराजा सुहेलदेव से हुआ। वह सुहेलदेव की शक्ति और साहस से परिचित नहीं था। बहराइच में हुई जंग में महाराजा सुहेलदेव ने गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद को धूल चटा दी थी। अंत में सन् 1034 में सुहेलदेव की सेना ने मसूद की सेना को एक लड़ाई में हराया और मसूद की मौत हो गई।

सैयद सालार मसूद की हार एक तरह से महमूद गजनवी की हार थी। महाराजा सुहेलदेव की अगुवाई में उनकी सेना ने सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी का खात्मा किया और पूरी टोली को ही मिट्टी में मिला दिया। करीब 17वीं सदी में जब फारसी भाषा में मिरात-ए-मसूदी लिखी गई, तब इस वाकये और घटना का विस्तार से जिक्र किया गया है। 

Published : 
  • 16 February 2021, 12:41 PM IST