गोडसे ही था महात्मा गांधी का कातिल, दोबारा नहीं होगी हत्याकांड की जांच

डीएन ब्यूरो

महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच नहीं होगी। इस मामले में न्याय मित्र अमरेन्द्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि छह दशक के बाद महात्मा गांधी की हत्या की जांच दोबारा करने की जरूरत नहीं है। जानिये क्या है पूरा मामला..

फिल्म का एक दृश्य
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नई दिल्लीः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच नहीं की जाएगी। इस मामले में न्याय मित्र अमरेन्द्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि छह दशक बाद महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। 

मुंबई की अभिनव भारत ट्रस्ट के न्यासी और वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज फडणीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच के लिए एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। इस मामले में अमरेन्द्र शरण को न्याय मित्र बनाया गया। शरण ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले में कहा है कि इस हत्याकांड की जांच दोबारा करने की कोई विशेष वजह नहीं है। 

बेबुनियाद है विदेशी साजिश का आरोप

इस मामले में याचिकाकर्ता पंकज फडणीस का दावा है कि महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे के अलावा विदेशी खुफिया एजेंसी का भी हाथ था और हत्याकांड से जुड़े कई दस्तावेजों की अनदेखी की गयी है। इसमें विदेशी साजिश की बू आती थी। जबकि न्याय मित्र का कहना है कि इस हत्याकांड में ऐसी किसी भी संभावना की बात बेबुनियाद है। क्योंकि इसके कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। 

गोडसे ही था महात्मा गांधी का कातिल 

अधिवक्ता शरण ने कहा कि उन्हें दस्तावेजों की तहकीकात से गोडसे के अलावा किसी अन्य के शामिल होने के संदेह की गुंजाइश नजर नहीं आती इसलिए मामले की फिर से जांच कराने या नया तथ्यान्वेषी आयोग गठित करने की उन्हें जरूरत महसूस नहीं हो रही है। इस माले में की पहले पुख्ता जांच हुई। किसी विदेशी एजेंसी का हाथ होने, दो लोगों के फायरिंग करने और चार गोली चलने के दावों में दम नहीं है। 

इन्होंने बताया था विदेशी एजेंसी का हाथ

बता दें कि मुंबई के शोधकर्ता डॉ. फडणीस ने याचिका दायर करके 5 अक्टूबर 2017 को दोबारा जांच की मांग की थी। पंकज का कहना है कि गांधी की हत्या में किसी विदेशी एजेंसी का हाथ हो सकता है। अब न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को करेगा।










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