

पिछले दो महीने से देश भर में राजनीतिक खुमार अपने चरम पर है। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली में हुए चुनावों तथा कई राज्यों में हुए उप चुनाव के नतीजों के बाद एक नयी राजनीतिक चर्चा ने जन्म लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
नई दिल्ली: महज दस साल पहले आंदोलन से निकलकर एक राजनीतिक दल के रुप में आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। तब पहला चुनाव दिल्ली में आप ने लड़ा और 15 साल से दिल्ली की राज्य सत्ता पर काबिज शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस को उखाड़ फेंका।
इस अप्रत्याशित जीत के बाद देश के राजनीतिक पंडितों ने यह माना कि आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस को जगह-जगह कमजोर करेगी। इस बात की पुष्टि दोबारा दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई जहां आप ने एक बार फिर कांग्रेस को न सिर्फ करारी शिकस्त दी बल्कि उसके बड़े वोट बैंक को अपनी तरफ शिफ्ट कर लिया।
इसके बाद बारी आयी पंजाब की। जहां कांग्रेस की सरकार को पटखनी देते हुए मार्च 2022 में अपने दम पर सरकार बना ली।
इन नतीजों के बाद तो यह कहा जाने लगा कि कांग्रेस का वोट बैंक आप की तरफ मुड़ रहा है लेकिन भाजपा अपनी जगह पर कायम है, मतलब कि आप से भाजपा को कोई खतरा नहीं लेकिन दिल्ली नगर निगम यानि MCD के चुनाव नतीजों ने इस मिथक को तोड़ दिया और भाजपा के माथे पर पसीने की लकीर खींचकर MCD में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया।
यही नहीं गुजरात में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही आप ने लगभग 13 फीसदी वोट हासिल कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया। कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ने भाजपा के शहरी मतदाताओं के बड़े वर्ग पर सेंधमारी की है।
अगर यह कहा जाये कि आम आदमी पार्टी आने वाले दिनों में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खतरा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
यदि भाजपा को आप आदमी पार्टी से निपटना है तो उसे कीचड़ उछालु राजनीति की बजाय सकारात्मक रवैये के साथ विकास का मजबूत रोड मैप लेकर जनता के बीच जाना होगा कि अब तक उसने विकास के कौन से काम किये और आगे का उसका प्लान क्या है।