महराजगंज: 17 साल बाद टूटी जिम्मेदारों की नींद, प्रभारी मंत्री जानेंगे बलिया नाला पर बने अर्धनिर्मित पुल की हकीकत

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जिला मुख्यालय पर पहुंचने के लिए बलिया नाला पर मात्र एक पुल है। हजारों लोग इसी पुल के सहारे शहर में दाखिल होते हैं, लेकिन दूसरी तरफ अर्धनिर्मित पुल पर किसी की नजर नहीं पहुंची। 17 साल बाद मंगलवार को प्रभारी मंत्री द्वारा इसके निरीक्षण कार्यक्रम को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



महराजगंजः शहर के सुभाष नगर शमशान घाट के पास बलिया नाला पर बने अर्धनिर्मित पुल के दिन बहुरने की उम्मीद दिखने लगी है। मंगलवार को जनपद भ्रमण पर आने वाले प्रभारी मंत्री द्वारा तय अर्धनिर्मित पुल के निरीक्षण कार्यक्रम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। लोगों ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में बताया कि तकरीबन 17 साल बाद जिम्मेदारों की कुम्भकर्णीण नींद आज टूटी है। प्रभारी मंत्री अर्धनिर्मित पुल की हकीकत परखेंगे। भरोसा हो उठा है कि यदि पहल हुई तो पुल का निर्माण पूरा हो जाएगा और यहां के लोगों को हमेशा के लिए जाम की समस्या से जहां निजात मिलेगी, वहीं जिला मुख्यालय तक आने जाने के लिए रास्ता आसान हो जाएगा।

आबादी बढ़ी पर छोटे पडे़ संसाधन  
दो अक्तूबर 1989 में महराजगंज को जिला का दर्जा मिला। इसके पहले महराजगंज चिउरहा गांव का एक मात्र टोला था। आबादी बहुत कम थी। जिला का कलेक्ट्रेट बना। 25 वार्डों का विस्तार कर नगर मुहल्ले बनाए गए। इन नगर के मुहल्लों में तकरीबन 60 हजार से अधिक आबादी निवास कर रही है। लोगों ने अपना विकास तेजी से किया। दुकान बढ़े और मकान भी लेकिन सरकारी संसाधन छोटे पड़ते गए।

वर्षों से अधूरा पड़ा शहर का बलिया नाला पुल

आबादी बढ़ने के साथ ही सड़कों पर राहगीरों व वाहनों की भीड़ बढ़ी। हर दिन जाम की समस्या एक नासूर बन गई, लेकिन इस समस्या से कैसे निजात मिलेगी, इसपर न तो कभी योजना बनी और न ही कोई जनप्रतिनिधि ही पहल किया। यहां के अन्य दलों के नेताओं ने भी कभी आवाज नहीं उठाई। यातायात की हालात इतनी बिकराल हो गई है कि सड़क जाम होने पर मात्र 3 किलोमीटर की सफर तय करने में लोगों कई घंटों का समय लगता है।

लाखों खर्च कर सिर्फ बने हैं चार पिलर
शहर के सुभाष नगर स्थित शमशान घाट के किनारे तकरीबन 17 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में बलिया नाला पर एक पुल की आधारशिला रखी गई। करोड़ों रूपये खर्च कर पुल के चार पिलर बनें। शहर वासियों को यह उम्मीद जगी कि इस पुल के निर्माण से जहां सुभाष नगर सहित तमाम गांवों को भी अवागमन के लिए रास्ता सुगम होगा। वहीं शहर का भी तेजी से विकास होगा, लेकिन लोगों के अरमानों पर पानी तब फिर गया, जब पुल का निर्माण ठप हो गया। एक छत न पड़ने से पुल सफेद हाथी बनकर खड़ा है। न तो इसके लिए कोई पहल किया गया और न ही कोशिश। नगर पालिका प्रशासन ने भी इस पुल को बनाने के लिए कभी योजना नही बनाई।

पुल बनते हीे खत्म हो जाएगी जाम की समस्या
सड़कों पर लोगों व वाहनों की भीड़ तो बन गई, लेकिन बलिया नाला पर एक और पुल न बनने से जाम की समस्या लाइलाज हो गई है। आए दिन यहां लोग शासन व प्रशासन को कोसते हुए सफर करने को मजबूर हैं, लेकिन किसी ने इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए कोई कोशिश नहीं की। यहाँ पुल के निर्माण होने से जिला मुख्यालय आने-जाने में लोगों को काफी आसानी होती और शहर के विकास को गति मिलती।










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