New Delhi: दिल्ली और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों द्वारा बढ़ते हमलों और रेबीज संक्रमण के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और सख्त आदेश दिया। कोर्ट ने दिल्ली-NCR के नागरिक प्रशासन को निर्देशित किया है कि वे आवारा कुत्तों के खिलाफ तुरंत, निर्णायक और संगठित कार्रवाई करें।
“कोई समझौता नहीं”
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला अब जनहित और बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए कोई लापरवाही या ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने कहा, “आवारा कुत्तों के हमलों से नवजात और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इन्हें किसी भी कीमत पर शिकार नहीं बनने दिया जा सकता। यह हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।”
प्रशासन को दिए गए निर्देश
- तत्काल विशेष अभियान चलाया जाए ताकि सभी प्रमुख इलाकों से आवारा कुत्तों को पकड़ा जा सके।
- पकड़े गए कुत्तों को जीवाणु रहित (Sterilized) किया जाए और रेबीज रोधी टीका लगाया जाए।
- कुत्तों को सड़कों पर दोबारा न छोड़ा जाए, बल्कि उन्हें आश्रय स्थलों में स्थायी रूप से रखा जाए।
- आश्रय गृहों में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित स्टाफ तैनात किया जाए।
- जहां पहले से 5,000 कुत्तों की क्षमता वाले आश्रय हैं, वहां मानकों के अनुसार सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- इस कार्य में बाधा डालने वाले व्यक्ति या संगठन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।
शिकायत तंत्र होगा स्थापित
कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार एक विशेष हेल्पलाइन नंबर की स्थापना करे जहां आम नागरिक कुत्तों के हमले, काटने या खतरे की शिकायतें दर्ज करा सकें। ये डेटा भविष्य की कार्रवाई और रोकथाम में मदद करेगा।
संज्ञान लिया था कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई 2025 को मीडिया में लगातार आ रही कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लिया था। हाल ही में कई बच्चों और बुजुर्गों पर हमले, रेबीज संक्रमण से मौत और कॉलोनियों में बढ़ती दहशत की खबरें सामने आई थीं।
क्या है प्रशासन की ज़िम्मेदारी अब?
- दिल्ली के एमसीडी, एनएमडीसी और NCT प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर अमल करते हुए तुरंत संयुक्त एक्शन प्लान बनाना होगा।
- जिला स्तर पर विशेष निगरानी टीमें बनानी होंगी जो लगातार आंकलन और रिपोर्टिंग करें।
- कोर्ट ने साफ किया है कि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस मामले में कोई राजनीतिक या संवेदनशील रियायत नहीं दी जाएगी।

