New Delhi: साल 2025 के पहले सात महीनों जनवरी से जुलाई तक भारत के लिए भीषण आपदाओं से भरे रहे। बाढ़, भारी बारिश, बिजली गिरना, तूफान और भूस्खलन जैसी घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में 1,626 लोगों की जान गई और 1.57 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसलें तबाह हो गईं। उत्तराखंड से लेकर केरल, हिमाचल से असम तक हर कोने में मौसम का गुस्सा झेलना पड़ा। इस प्राकृतिक प्रहार ने यह सवाल खड़ा कर दिया है: क्या भारत अब जलवायु आपातकाल की कगार पर खड़ा है?
हर पहाड़ी इलाका बना तबाही का केंद्र
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटना ने पूरे गांव को उजाड़ दिया। इसी तरह, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सराज घाटी में 30 जून की रात भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ आई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और लगभग 25 गांव प्रभावित हुए। 2024 में केरल के वायनाड में भी मॉनसून ने ऐसी ही तबाही मचाई थी, जो अब नए साल में भी दोहराई गई है।
गृह मंत्रालय के चौंकाने वाले आंकड़े
6 अगस्त 2025 को गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों में बताया कि कुल मौतें: 1,626 है। जिसमे सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य आंध्र प्रदेश: 343 मौतें, मध्य प्रदेश: 243, हिमाचल प्रदेश: 195, कर्नाटक: 102 और बिहार: 101 है। अन्य राज्यों में भी मौतों की संख्या केरल (97), महाराष्ट्र (90), राजस्थान (79), उत्तराखंड (71), गुजरात (70), जम्मू-कश्मीर (37), असम (32), उत्तर प्रदेश (23) कम नहीं रही। इनमें से 60% मौतें सिर्फ पांच राज्यों आंध्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल, कर्नाटक और बिहार में हुई हैं, जो आपदा के भौगोलिक फैलाव को दर्शाता है।
किसानों पर दोहरी मार
आपदा ने खेती-किसानी पर भी करारा वार किया है।
• फसल नष्ट: 1,57,818 हेक्टेयर
• मवेशी हानि: 52,367 मवेशियों की मौत
राज्यवार नजर डालें तो…
• महाराष्ट्र: 91,429 हेक्टेयर फसल बर्बाद
• असम: 30,474.89 हेक्टेयर
• कर्नाटक: 20,245 हेक्टेयर
• हिमाचल प्रदेश: 23,992 मवेशी हानि
• जम्मू-कश्मीर: 11,067 मवेशी मरे
“अस्थायी आंकड़े”, लेकिन स्थायी नुकसान
गृह मंत्रालय ने साफ किया कि ये आंकड़े राज्य सरकारों से प्राप्त अस्थायी सूचनाओं पर आधारित हैं। केंद्र सरकार खुद डेटा नहीं जुटाती, बल्कि राज्य सरकारों पर निर्भर रहती है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (NPDM) के तहत आपदाओं से निपटना राज्यों की जिम्मेदारी है, जबकि केंद्र सरकार सहायता प्रदान करती है। लेकिन कई विशेषज्ञ इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं- क्या राज्यों में समान संसाधन, तैयारी और प्रबंधन क्षमता है?
बिजली गिरने से जान बचाने के उपाय
सरकार ने लोगों को बिजली और तूफानों से बचाने के लिए कुछ तकनीकी उपाय अपनाए हैं
• भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उपग्रह, रडार और 102 सेंसर से लैस एडवांस्ड सिस्टम बनाया है, जो 5 दिन पहले तक मौसम की चेतावनी दे सकता है।
• ‘दामिनी’ ऐप- पुणे स्थित मौसम संस्थान द्वारा बनाया गया- बिजली गिरने की 20-40 किमी के भीतर चेतावनी देता है।
• NDMA ने 28 फरवरी 2025 को आंधी, तूफान और बिजली से सुरक्षा के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
आपदाओं का असली कारण?
विशेषज्ञों के अनुसार, इन आपदाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन की बड़ी भूमिका है।
• बारिश के पैटर्न में बदलाव
• तेज और अनियमित वर्षा, जिससे बाढ़ और भूस्खलन बढ़े
• तापमान वृद्धि, जिससे वायुमंडलीय असंतुलन