Site icon Hindi Dynamite News

कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की कंपनियों का खुलासा: 6 अफसरों के नाम आए सामने, करोड़ों का नेटवर्क बेनकाब

कानपुर में कथित अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर चल रही जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। केवल वकालत की आड़ में नहीं, बल्कि कई कंपनियों के जरिए करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने वाला दुबे, अब आर्थिक अनियमितताओं और अफसरों की मिलीभगत के आरोपों में घिर गया है।
Post Published By: Asmita Patel
Published:
कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की कंपनियों का खुलासा: 6 अफसरों के नाम आए सामने, करोड़ों का नेटवर्क बेनकाब

Kanpur: कानपुर पुलिस की जांच में सामने आया है कि अधिवक्ता अखिलेश दुबे ने न केवल झूठे मुकदमे दर्ज कर न्याय प्रणाली का दुरुपयोग किया, बल्कि कई फर्जी या संदिग्ध कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया। बीते दिनों एक फर्जी रेप केस दर्ज कराने के मामले में दुबे को जेल भेजा गया था। लेकिन अब इस मामले की जांच जब गहराई में गई तो सामने आया कि दुबे केवल वकील नहीं, बल्कि एक मनी नेटवर्क चलाने वाला शख्स है।

वकालत की आड़ में कंपनी कारोबार

पुलिस और जांच एजेंसियों के अनुसार, अखिलेश दुबे ने अपने प्रभाव और संपर्कों का इस्तेमाल कर कई रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कंपनियां खड़ी कीं। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ कंपनियां सरकारी अफसरों और उनके रिश्तेदारों के नाम पर भी पंजीकृत हैं। इन कंपनियों का इस्तेमाल काली कमाई को सफेद करने और सरकारी योजनाओं में गलत निवेश के लिए किया गया। इससे यह भी संकेत मिलते हैं कि दुबे का नेटवर्क सिर्फ कानूनी गलियारों तक सीमित नहीं था, बल्कि उसे प्रशासनिक संरक्षण भी प्राप्त था।

छह अफसरों के नाम जांच के दायरे में आए

अब तक की जांच में 6 अफसरों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दुबे को सहयोग दिया।
1. डीएसपी संतोष सिंह
2. डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला
3. डीएसपी विकास पांडेय
4. इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी
5. केडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष एम.के. सोलंकी
6. केडीए के पीआरओ कश्यपकांत दुबे
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों की भूमिका की जांच वित्तीय लेन-देन, कंपनी साझेदारी और प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेजों के आधार पर की जा रही है।

रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति

जांच एजेंसियां अब उन रिश्तेदारों और परिजनों की भी जांच कर रही हैं, जिनके नाम पर दुबे की कंपनियों में निवेश या प्रॉपर्टी दर्ज है। इससे साफ होता है कि यह पूरा नेटवर्क सुनियोजित और संगठित था। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो यह मामला कानपुर के सबसे बड़े प्रशासनिक और आर्थिक घोटालों में से एक बन सकता है।

Exit mobile version