बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से शुरू हुआ एक रहस्यमयी धार्मिक गुरू का किस्सा अब देशव्यापी बहस का कारण बन चुका है। नाम है—छांगुर बाबा। लेकिन नाम के पीछे जो असली पहचान है, वह कहीं ज़्यादा जटिल और चौंकाने वाली है। जांच एजेंसियों के मुताबिक छांगुर बाबा का असली नाम जलालुद्दीन है। सतह पर वे एक आध्यात्मिक बाबा के रूप में कार्य कर रहे थे, लेकिन पर्दे के पीछे एक संगठित रैकेट का संचालन कर रहे थे, जिसमें कथित रूप से जबरन धर्मांतरण, हवाला, विदेशी फंडिंग, अवैध संपत्ति और यहां तक कि पाकिस्तान से जुड़े संदिग्ध नेटवर्क की बातें सामने आई हैं। यह पूरा मामला न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बन चुका है, बल्कि देश की सामाजिक-सांप्रदायिक व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने चर्चित शो The MTA Speaks छांगुर बाबा को लेकर सटीक विश्लेषण किया।
जांच में खुलासा
शुरुआत बलरामपुर से होती है, जहां छांगुर बाबा ने खुद को एक धार्मिक मार्गदर्शक, पीर या फकीर की तरह प्रस्तुत किया। तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई करने वाले इस व्यक्ति को कोई साधारण गांव का निवासी समझता रहा, लेकिन वह दो बार ग्राम प्रधान भी रहा था। धीरे-धीरे वह इलाके में गरीबों की मदद के नाम पर सक्रिय हुआ और फिर धर्म के नाम पर लोगों को आकर्षित करने लगा। उनके द्वारा बनाई गई एक बड़ी कोठी—जिसमें 70 कमरे, मस्जिद, तलघर, रसोईघर, और तमाम आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं—सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी। इस कोठी को ‘आस्था स्थल’ कहा गया, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि धर्मांतरण और कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार का अड्डा था।
ATS ने बाबा को गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश ATS ने छांगुर बाबा पर पहला शिकंजा तब कसा, जब उन्हें एक पीड़ित लड़की के जरिए धर्मांतरण के रैकेट की भनक लगी। इस केस में बाबा के साथ-साथ उनकी पत्नी नीतू उर्फ नसरीन और अन्य सहयोगियों को आरोपी बनाया गया। FIR में दर्ज बयान में पीड़िता ने दावा किया कि उसे छांगुर बाबा के लोगों द्वारा प्रेमजाल में फंसाया गया, फिर शादी का झांसा देकर इस्लाम कबूल करवाया गया, और इसके बाद एक ऐसे नेटवर्क में धकेला गया जिसका संबंध न सिर्फ कट्टर धार्मिक संगठनों से था बल्कि पाकिस्तान से भी था। इस मामले में ATS ने बाबा को गिरफ्तार कर 9 से 16 जुलाई तक रिमांड पर लिया, और रिमांड के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
सबसे अहम बात जो सामने आई वह थी विदेश से होने वाली फंडिंग।
बाबा के कई ठिकानों पर छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों के 18 से अधिक बैंक खातों की जांच की, जिसमें लगभग ₹68 करोड़ की धनराशि पाई गई। इनमें ₹7 करोड़ की रकम विदेशी स्रोतों से ट्रांसफर की गई थी, और जांच एजेंसियों को आशंका है कि यह पैसा हवाला और ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे अवैध रास्तों से भारत आया। ED ने इस रकम की जांच के लिए PMLA के तहत केस दर्ज किया और बाबा के कई ठिकानों पर छापेमारी की। साथ ही लगभग ₹40 करोड़ की संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई। जांच में ये भी सामने आया कि बाबा और उसका नेटवर्क आर्थिक रूप से कमजोर, शिक्षा से वंचित और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग की महिलाओं को निशाना बनाते थे। इन महिलाओं को कभी मोहब्बत के नाम पर, तो कभी इलाज या तंत्र-मंत्र के बहाने अपने संपर्क में लाया जाता था और फिर धर्मांतरण के लिए मानसिक और शारीरिक दबाव डाला जाता था। कई मामलों में जबरन निकाह और फिर उनका शोषण भी किया गया। ATS को यह भी जानकारी मिली कि बाबा के केंद्रों में युवाओं को कट्टर विचारधारा का प्रशिक्षण भी दिया जाता था, जो आतंकवादी नेटवर्कों से मेल खाता है।
दारुल इस्लाम’ की तर्ज पर एक नई व्यवस्था
ED की कार्रवाई केवल बैंक खातों तक सीमित नहीं रही। उन्होंने बाबा की कोठी और उस पर हुए खर्चों का ऑडिट किया, जिसमें पाया गया कि विदेशी फंडिंग से आलीशान इमारत बनाई गई, जो न सिर्फ धर्मांतरण का ठिकाना थी बल्कि एक अघोषित प्रशिक्षण केंद्र भी बन चुका था। यहां युवकों को विशेष विचारधारा के तहत प्रशिक्षित किया जाता था, जिसमें ‘दारुल इस्लाम’ की तर्ज पर एक नई व्यवस्था की बात की जाती थी। बाबा के लैपटॉप और दस्तावेज़ों से भी ऐसे वीडियो और दस्तावेज़ बरामद हुए हैं जो धार्मिक कट्टरता फैलाने की दिशा में गंभीर साजिश की ओर इशारा करते हैं।
अवैध गतिविधियों पर चुप्पी
बाबा की गिरफ्तारी के बाद धीरे-धीरे सरकारी अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में आने लगी। रिपोर्ट के मुताबिक, बलरामपुर के ADM, स्थानीय CO और इंस्पेक्टर समेत कई अफसरों ने छांगुर बाबा के कार्यों पर नज़र नहीं रखी बल्कि उन्हें अप्रत्यक्ष संरक्षण भी दिया। ATS ने इस मामले में इन अधिकारियों से भी पूछताछ शुरू की है और इस बात की जांच हो रही है कि क्या किसी प्रशासनिक संरचना ने जानबूझकर बाबा की अवैध गतिविधियों पर चुप्पी साधे रखी।एक अन्य बड़ा पहलू जो इस केस से जुड़ा है, वह है धार्मिक नेतृत्व की प्रतिक्रिया। बरेली के बरेलवी धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने एक फतवा जारी कर छांगुर बाबा की गतिविधियों से मुस्लिम समाज को सचेत रहने की अपील की। मौलाना ने कहा कि इस तरह के लोग इस्लाम को बदनाम करने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं और धर्मांतरण या धर्म का प्रचार किसी भी लालच या दबाव से नहीं होना चाहिए। यह बयान इस तथ्य को दर्शाता है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा भी छांगुर बाबा की गतिविधियों से असहज है।
कार्रवाइयों पर सवाल
मामला तब और गर्म हो गया जब समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने बाबा की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ की गई कार्रवाइयों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अभी तक आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं और सरकार इस केस का उपयोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में कर रही है। उन्होंने इसे एकतरफा कार्रवाई करार दिया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भी बहस तेज हो गई है कि क्या यह केस सचमुच कट्टरपंथ और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है या फिर इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए उपयोग किया जा रहा है।
बलरामपुर में बाबा की कोठी ध्वस्त
अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा। कानूनी प्रक्रिया में ED और ATS दोनों मिलकर कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा आगे बढ़ा रहे हैं। छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों पर PMLA, UAPA, FCRA, IPC की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हैं। ED को शक है कि इस नेटवर्क का संबंध खाड़ी देशों और पाकिस्तानी एजेंसियों से भी रहा है। ATS ने जिन दस्तावेजों को जब्त किया है, उनमें कुछ ऐसे कोडवर्ड्स और संपर्क सूत्र मिले हैं, जिनकी पड़ताल NIA भी कर सकती है। बलरामपुर में बाबा की कोठी को ध्वस्त कर दिया गया है और जिला प्रशासन ने इस पर लगभग ₹8.55 लाख की वसूली लगाई है। साथ ही उनके द्वारा संचालित संस्था “JIH” (जमीयत-ए-इस्लाह-उल-हिन्द) को जांच के घेरे में रखा गया है। जांच एजेंसियों का कहना है कि इस संस्था के जरिए विदेशी फंड को देश में समाज सेवा के नाम पर लाया गया लेकिन उसका दुरुपयोग कट्टर विचारधारा फैलाने में किया गया।
सबूतों और गवाहों पर निर्भर
अब इस पूरे मामले का निष्कर्ष न्यायालय के सामने पेश होने वाले सबूतों और गवाहों पर निर्भर करेगा। हालांकि अब तक की कार्रवाई यह स्पष्ट कर चुकी है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की करतूत नहीं थी, बल्कि एक संगठित नेटवर्क था जिसमें सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संपर्कों का दुरुपयोग कर देश की व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश की जा रही थी। बाबा की गिरफ्तारी केवल शुरुआत है, और जांच एजेंसियों को यह समझना होगा कि ऐसे संगठनों की जड़ें कहां तक फैली हैं। इस केस ने यह भी सिखाया है कि समाज में दिखने वाली साधु-संतों की छवि के पीछे कई बार अपराध का ऐसा जाल होता है जिसे पकड़ पाना आम आदमी के लिए संभव नहीं होता। मीडिया, प्रशासन और समाज को सतर्क रहना होगा और धर्म के नाम पर हो रही किसी भी गतिविधि की पड़ताल आवश्यक होनी चाहिए। The MTA Speaks’ के जरिए हम यही कहना चाहेंगे कि जब देश की आत्मा पर हमला हो, जब विचारधारा के नाम पर युवाओं को गुमराह किया जाए, जब धर्म को हथियार बनाया जाए, तब ज़रूरी है कि हम सिर्फ मौन दर्शक न बनें, बल्कि आवाज़ उठाएं—सच के पक्ष में, संविधान के साथ और समाज की एकता के लिए।