बलिया: पुत्र के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत

डीएन ब्यूरो

यूपी के बलिया में पुत्र के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने बीती बुधवरा को निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। ज्यादा जानकारी के लिए पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।

महिलाओं ने रखा निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत
महिलाओं ने रखा निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत


बलिया: जिले में पुत्र की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने बीती बुधवार को निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत (Nirjala Jivitputrika Fast) रखा। पूरे दिन व्रत रहने के बाद शाम को स्नान ध्यान करने के उपरांत नए वस्त्र धारण कर और सोलहों श्रृंगार कर मंदिर (Temple) व अपने घरों में पुरोहित से कथा श्रवण किया। कथा श्रवण करने के बाद अपने से बड़ों के पैर छूकर स्वयं व बच्चे की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लिया। इसके बाद सुबह पारण कर व्रत तोड़ा।

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बिना अन्न जल के व्रत
डाइनामाइट न्यूज
संवाददाता के मुताबिक प्रत्येक वर्ष आश्वीन कृष्ण पक्ष (Ashwin Krishna Paksha) की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत सौभाग्यवती महिलाओं ने पुत्र के दीर्घायु के लिए बुधवार को बिना अन्न जल के रखा। पूरे दिन बिना अन्न जल के व्रत रहने के उपरांत महिलाओं ने शाम को स्नान किया। इसके बाद नए वस्त्र और सोलहों श्रृंगार कर जीवित्पुत्रिका की पूजा की। इस दौरान महिलाओं ने अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, मिष्ठान आदि चढ़ाकर पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। 

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महाभारत काल से किया जा रहा व्रत 
इसके बाद नजदीकी मंदिर व अपने-अपने घरों में पुरोहित (Purohit) से कथा श्रवण किया। फिर अपनों से बड़ों का पैर छूकर पुत्र के दीर्घायु होने और स्वयं स्वस्थ रहने का आशीर्वाद लिया। व्रत के अगले दिन महिलाओं ने पारण कर व्रत तोड़ा। यह जीवित्पुत्रिका व्रत सौभाग्यवती महिलाएं संतान की मंगल कामना के लिए रखती है, जिनके पुत्र होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य और संपन्नता प्राप्त होती है। यह जीवित्पुत्रिका व्रत महाभारत (Mahabharat) काल से ही किया जा रहा है।










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