बिहार सरकार ने शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को आखिर अचानक क्यों किया स्थगित, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार में जाति आधारित गणना को 'वैध' और 'कानूनी' करार दिए जाने के एक दिन बाद, राज्य सरकार बुधवार को हरकत में आई और उसने शिक्षकों के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया ताकि इस अभ्यास को शीघ्र पूरा करने के लिए उन्हें इसमें शामिल किया जा सके। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट:

नितीश कुमार
नितीश कुमार


पटना: पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार में जाति आधारित गणना को 'वैध' और 'कानूनी' करार दिए जाने के एक दिन बाद, राज्य सरकार बुधवार को हरकत में आई और उसने शिक्षकों के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया ताकि इस अभ्यास को शीघ्र पूरा करने के लिए उन्हें इसमें शामिल किया जा सके।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक: ‘स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी)’ के निदेशक सज्जन आर ने बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (बिपार्ड- गया और पटना) के शीर्ष अधिकारियों, सभी शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सीटीई), जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी), प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (पीटीईसी) एवं ब्लॉक इंस्टीट्यूट फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (बीआईईटी) के अधिकारियों से शिक्षकों के लिए चल रहे सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तुरंत निलंबित करने का आग्रह किया है।

एससीईआरटी निदेशक द्वारा बुधवार को जारी पत्र में कहा गया है, “ शिक्षकों के लिए चल रहे सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य सरकार के निर्देश के बाद तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि राज्य में जाति सर्वेक्षण को शीघ्र पूरा करने के लिए शिक्षकों (नई भर्तियों सहित) की सेवाओं का उपयोग किया जा सके। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षकों को अपने-अपने स्कूलों में नियमित शिक्षण कार्य करने के अलावा, जाति सर्वेक्षण अभ्यास में भी अपनी सेवाएं देने का निर्देश दिया गया है।’’

यह भी पढ़ें | Unlock Bihar: बिहार को भी एक माह बाद लॉकडाइन से मुक्ति, कोरोना की धीमी हुई रफ्तार, जानिये नई गाइडलाइन

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति सर्वेक्षण पर चार मई को अस्थायी रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने कहा था कि जाति-आधारित डेटा का संग्रह संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक आदेश है।

हालाँकि, पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण को वैध और कानूनी ठहराया। अदालत ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया जो जून 2022 में राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए जाति सर्वेक्षण के खिलाफ दायर की गई थीं।

जाति आधारित गणना का पहला चरण 21 जनवरी को पूरा हो गया था। घर-घर सर्वेक्षण के लिए गणनाकारों और पर्यवेक्षकों सहित लगभग 15,000 अधिकारियों को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। इस अभ्यास के लिए राज्य सरकार अपनी आकस्मिक निधि से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सामान्य प्रशासन विभाग सर्वेक्षण के लिए नोडल प्राधिकारी है।

यह भी पढ़ें | Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी, EBC सबसे बड़ा वर्ग, जानिये OBC और अन्य समुदायों की स्थित

 










संबंधित समाचार