Videocon Loan Scam: Videocon लोन मामले को लेकर सामने आई नई रिपोर्ट, ICICI Bank को हुआ हजारों करोड़ का नुकसान

डीएन ब्यूरो

आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को दी गई ऋण सुविधाएं 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गईं। यह दावा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ दायर आरोपपत्र में किया है।

फाइल फोटो
फाइल फोटो


मुंबई: आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को दी गई ऋण सुविधाएं 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गईं। यह दावा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ दायर आरोपपत्र में किया है।

दस हजार पन्नों से अधिक लंबा आरोपपत्र हाल ही में यहां सीबीआई मामलों की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर किया गया। कोचर और धूत अभी जमानत पर हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आरोपपत्र में कहा गया है कि चंदा कोचर के आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बनने के बाद, एक मई 2009 से वीडियोकॉन ग्रुप को छह ‘रुपया सावधि ऋण’ (आरटीएल) मंजूर किए गए। आरोपपत्र में कहा गया है कि जून 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच बैंक द्वारा समूह को कुल 1,875 करोड़ रुपये के आरटीएल स्वीकृत किए गए थे।

चंदा कोचर निदेशकों की उस दो सदस्यीय समिति की अध्यक्ष थीं, जिसने अगस्त 2009 में वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) को 300 करोड़ रुपये के आरटीएल मंजूरी किए थे।

सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया है कि इसके अलावा, वह अक्टूबर 2011 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) को 750 करोड़ रुपये के आरटीएल को मंजूरी देने के लिए वरिष्ठ प्रबंधकों की समिति (अनुशंसा समिति) के साथ-साथ ऋण समिति (मंजूरी समिति) की सदस्य थीं।

इसमें कहा गया है कि वह उन समितियों की सदस्य थीं जिन्होंने 2012 के बाद भी वीडियोकॉन समूह को विभिन्न ऋण सीमाएं मंजूर कीं।

आरोपपत्र में कहा गया है, ‘‘आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को स्वीकृत ऋण सुविधाएं जून 2017 में एनपीए में बदल गईं, जिसमें बकाया राशि 1,033 करोड़ रुपये की थी। इससे, आईसीआईसीआई बैंक को 1,033 करोड़ रुपये और ब्याज का नुकसान उठाना पड़ा।’’

धूत, कोचर और अन्य ने 'वीडियोकॉन समूह को ऋण स्वीकृत कराने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में चंदा कोचर की नियुक्ति की घोषणा के बाद दिसंबर 2008 में एक योजना तैयार की।'

सीबीआई ने कहा कि चंदा कोचर मुंबई में वीडियोकॉन ग्रुप के स्वामित्व वाले फ्लैट में रहती थीं। सीबीआई ने कहा कि बाद में, फ्लैट को अक्टूबर 2016 में सिर्फ 11 लाख रुपये में उनके पारिवारिक ट्रस्ट (दीपक कोचर इसके प्रबंध ट्रस्टी थे) को हस्तांतरित कर दिया गया जबकि फ्लैट की वास्तविक कीमत 5.25 करोड़ रुपये थी।

आरोपपत्र में कहा गया है कि कोचर ने 64 करोड़ रुपये की 'रिश्वत' ली और इस तरह अपने इस्तेमाल के लिए बैंक के धन का दुरुपयोग भी किया।










संबंधित समाचार