दिल्ली हिंसा पर संसद में तीसरे दिन भी जोरदार हंगामा
दिल्ली में हिंसा की घटनाओं पर चर्चा कराने तथा गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग पर अड़े विपक्षी दलों ने आज लगातार तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया जिसके कारण राज्यसभा सुबह ही और लोकसभा दो बजे के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
नई दिल्ली: दिल्ली में हिंसा की घटनाओं पर चर्चा कराने तथा गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग पर अड़े विपक्षी दलों ने आज लगातार तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया जिसके कारण राज्यसभा सुबह ही और लोकसभा दो बजे के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
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विपक्ष के हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण में अब तक कोई कामकाज नहीं हो सका, हालाकि लोकसभा ने हंगामे के बीच ही प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक 2020 को बुधवार को पारित कर दिया गया। लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद भोजनावकाश के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी जबकि राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण ग्यारह बजे सदन शुरू होने के कुछ देर बाद ही स्थगित करनी पड़ी। दोनों सदनों में अब तक एक दिन भी प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो सका।
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विपक्ष के जबरदस्त हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित
लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम् समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के सदस्य खड़े होकर दिल्ली हिंसा पर चर्चा की माँग करने लगे। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ने मंगलवार को सदन में स्पष्ट कर दिया था कि वह होली के बाद 11 मार्च को दिल्ली की घटनाओं पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार लोकसभा में 11 मार्च को और राज्यसभा में 12 मार्च को चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने विपक्ष से कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुये कहा कि इस सत्र में काफी महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी है और विपक्ष को कार्यवाही में व्यवधान नहीं डालना चाहिए। पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की लेकिन सदस्यों के शांत नहीं होने पर उन्होंने कार्यवाही बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सदन की बैठक दोबारा शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग में नारे लगाने शुरू कर दिये । सोलंकी ने सदन में अव्यवस्था का माहौल देख पांच मिनट में ही कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी। इससे प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो सका। (वार्ता)