8 अक्टूबर 1936 की शाम को 'अब तो जाते हैं मैकदे में मीर, फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया' इन्हीं चंद शब्दों के साथ हिंदी के सर्वश्रेठ और महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने अपनी अंतिम सांस ली। आइये जानते हैं कुछ अनसुने तथ्य इस माहान लेखक के बारे में..
जन्म
मुंशी प्रेमचंद का जनम उत्तर प्रदेश के लमही में हुआ, वह अजायब लाल और आनंदी देवी की चौथी संतान थे
धनपत राय श्रीवास्तव
मुंशी प्रेमचंद का असल नाम धनपत राय श्रीवास्तव है।
'मुंशी ’की उपाधि
'मुंशी ’की उपाधि उन्हें पाठकों द्वारा सम्मान के रूप में दी गई थी
उपन्यास और कहानियां
उन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास, 250 कहानियां, निबंध लिखे और उनके कई उपन्यास विदेशी भाषों में अनुवाद हुआ है
शिवरानी देवी से शादी
प्रेमचंद ने शिवरानी देवी से शादी की, जो एक बाल विधवा थीं। यह उस समय एक क्रांतिकारी कदम था।
सेल्स बॉय
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बुक शॉप पर सेल्स बॉय के रूप में की थी ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़ने का मौका मिल सके।
सरकारी स्कूल में शिक्षक
उन्होंने एक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के रूप में शामिल होने से पहले होम ट्यूशन दिया
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