सुल्तानपुर सीट पर कांटें की टक्कर, जानिए मेनका गांधी के लिए आसान क्यों नहीं चुनाव जंग

डीएन ब्यूरो

यूपी की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी को टक्कर देने के लिए सपा ने निषाद और बसपा ने कुर्मी बिरादरी से उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मेनका गांधी के लिए ये चुनाव नहीं आसान
मेनका गांधी के लिए ये चुनाव नहीं आसान


सुल्तानपुर: सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी चुनाव लड़ रही हैं। बीजेपी उम्मीदवार मेनका के सामने विपक्षी इंडिया ब्लॉक की ओर से समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उदराज वर्मा को उतारा है। सपा के निषाद और बसपा के कुर्मी कार्ड ने बीजेपी के लिए इस सीट पर चुनौती कड़ी कर दी है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार मेनका गांधी बड़े कद की नेता हैं लेकिन सपा-बसपा के गणित ने सुल्तानपुर की लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। सपा ने इस सीट से भीम निषाद को टिकट दिया था। पार्टी ने भीम का टिकट काटकर रामभुआल निषाद पर दांव लगा दिया।

रामभुआल की गिनती बड़े निषाद नेताओं में होती है। वह बसपा से दो बार विधायक और मायावती की सरकार में मंत्री रहे हैं। वहीं, बसपा ने सवर्ण उम्मीदवार के ट्रेंड को दरकिनार कर कुर्मी बिरादरी से आने वाले जिला पंचायत सदस्य उदराज वर्मा को प्रत्याशी बनाया है।

सपा ने पहली बार साइकिल दौड़ने की उम्मीद से निषाद कार्ड खेला तो वहीं बसपा के कुर्मी-दलित समीकरण ने चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

सुल्तानपुर सीट के जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां करीब ढाई लाख निषाद मतदाता हैं। कुर्मी जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। यह दोनों ही जातियां सुल्तानपुर में बीजेपी के लिए वोट करती रही हैं लेकिन अबकी सपा और बसपा के इन्हीं प्रभावी जातियों से उम्मीदवार उतारने के दांव ने बीजेपी को फंसा दिया है।

ब्राह्मण मतदाता पहले ही नाराज थे, अब सजातीय उम्मीदवार आ जाने से अगर निषाद और कुर्मी वोटर भी छिटके तो मेनका की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।










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