मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने जताई आपत्ति, जानिए पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर बृहस्पतिवार को कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें एक आरोपी को जमानत देने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा गया था। अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश से जिला न्यायपालिका पर “चिंताजनक प्रभाव” पड़ेगा।

उच्चतम न्यायालय  (फ़ाइल)
उच्चतम न्यायालय (फ़ाइल)


नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर बृहस्पतिवार को कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें एक आरोपी को जमानत देने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा गया था। अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश से जिला न्यायपालिका पर “चिंताजनक प्रभाव” पड़ेगा।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने इसी के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया। पीठ ने इससे पहले आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें निचली अदालत के न्यायाधीश को स्पष्टीकरण देने के लिये कहा गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जमानत रद्द नहीं करेगी, जिसकी शिकायतकर्ता के वकील ने विभिन्न आधारों पर मांग की है।

प्रधान न्यायाधीश ने तोता राम नामक व्यक्ति को जमानत देने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश को उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस की निंदा करते हुए कहा, “ उच्च न्यायालय के इस तरह के आदेशों का जिला न्यायपालिका पर एक भयावह प्रभाव पड़ता है और उच्च न्यायालय को ऐसा नहीं करना चाहिए।”

पीठ ने मामले के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि निचली अदालत ने बदली हुई परिस्थितियों की वजह से जमानत प्रदान करने का आदेश दिया था क्योंकि इस मामले में आरोप पत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका था और अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी थी।

आरोपी ने पिछले साल जून में कथित तौर पर खेत में जाते समय शिकायतकर्ता को रोककर निर्वस्त्र कर उसकी पिटाई की थी।

इससे पहले, 24 फरवरी को शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें आरोपी को जमानत प्रदान करने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि “ऐसे आदेशों से जिला न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।”










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