दुष्कर्म के बाद चार साल की बच्ची की हत्या: न्यायालय ने मृत्युदंड पाए युवक को छोड़ने का आदेश दिया
उच्चतम न्यायालय ने 2017 में मध्य प्रदेश के धार जिले में चार साल की बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में मौत की सज़ा पाए 20 वर्षीय युवक को शुक्रवार को रिहा करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब वारदात को अंजाम दिया गया था तब वह किशोर था।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2017 में मध्य प्रदेश के धार जिले में चार साल की बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में मौत की सज़ा पाए 20 वर्षीय युवक को शुक्रवार को रिहा करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब वारदात को अंजाम दिया गया था तब वह किशोर था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा, “ अपीलकर्ता (युवक) की दोषसिद्धि बरकरार रखी जाती है लेकिन उसकी सज़ा को रद्द किया जाता है।”
पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता 20 साल से अधिक उम्र का है और उसे किसी किशोर न्याय बोर्ड या बाल देखभाल केंद्र में भेजने की कोई जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा, “ अपीलकर्ता न्यायिक हिरासत में है। उसे फौरन रिहा किया जाए।” शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के 15 नवंबर 2018 के आदेश में संशोधन किया। इंदौर पीठ ने अपने आदेश के जरिए युवक की दोषसिद्धि और मौत की सज़ा की पुष्टि की थी।
शीर्ष अदालत ने युवक के किशोर होने के दावे पर निचली अदालत द्वारा जांच का आदेश दिया था।
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पीठ ने कहा कि उसने रिपोर्ट और बतौर साक्ष्य पेश की गई सामग्री का भी अवलोकन किया है, जिसके आधार पर निचली अदालत ने निष्कर्ष निकाला था।
उसने कहा कि रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के साथ-साथ प्राथमिक स्कूल की वर्तमान प्रधानाध्यापिका, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक, पांच शिक्षकों और अपीलकर्ता के अभिभावक के मौखिक बयान पर भी आधारित है।
पीठ ने कहा, “ इस न्यायालय के पास अपीलकर्ता की जन्म तिथि के संबंध में निचली द्वारा निकाले गए निष्कर्ष की सत्यता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। इसलिए, हम निचली अदालत की रिपोर्ट को स्वीकार करते हैं और मानते हैं कि अपीलकर्ता की उम्र घटना की तारीख को 15 साल, चार महीने और 20 दिन थी।”
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपी के किशोर होने के दावे का पता लगाने के लिए उसकी हड्डी का परीक्षण किया जाए।
15 दिसंबर, 2017 को चार साल की बच्ची धार जिले में अपने घर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए लापता हो गई थी। उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन अगली सुबह बच्ची का क्षत-विक्षत शव उसके घर से कुछ मीटर की दूरी पर मिला था।
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पुलिस ने कहा था कि पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या की गई थी।
पुलिस ने इस बाबत इस युवक को गिरफ्तार किया था और 17 मई 2018 को निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी।