हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी, जानें पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था।

गिरफ्तारी को बरकरार रखने के अलावा उच्च न्यायालय ने राज्य के परिवहन विभाग में नौकरियों के बदले धन लेने से संबंधित मामले में एक सत्र अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में उनकी बाद की हिरासत को भी वैध माना था। यह मामला तब का है जब पूर्ववर्ती सरकार में बालाजी परिवहन मंत्री थे। बालाजी तमिलनाडु कैबिनेट में बिना विभाग के मंत्री पद पर बने हुए हैं।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रवक्ता सरवनन ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है और उनकी याचिका सोमवार को दायर की गई।

बालाजी की पत्नी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय द्वारा न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन को तीसरे न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था। न्यायमूर्ति कार्तिकेयन खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले के बाद, न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती के निष्कर्षों से सहमत हुए।

न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। तीसरे न्यायाधीश ने माना कि आरोपी को जांच को विफल करने का कोई अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला के समक्ष रखा जाए ताकि इसे उसी खंडपीठ के पास भेजा जा सके और वह तारीख निर्धारित की जा सके जब ईडी बालाजी को हिरासत में ले सकती है। बालाजी की पिछले दिनों कोरोनरी बाईपास सर्जरी हुई थी।

बालाजी को सोमवार को एक निजी अस्पताल से चेन्नई की पुझल केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में मेगाला ने आरोप लगाया कि उनके पति ईडी की अवैध हिरासत में है और अनुरोध किया कि अधिकारियों को बालाजी को अदालत में पेश करने तथा उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया जाए।

खंडित आदेश में, न्यायमूर्ति निशा बानू ने कहा कि ईडी के पास सेंथिल बालाजी को हिरासत में लेने की कोई शक्ति नहीं है। न्यायमूर्ति बानू ने आदेश में कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचार योग्य है और बालाजी ने अस्पताल में इलाज के लिए जो समय बिताया, उसे उस रिमांड की अवधि से बाहर नहीं किया जा सकता है, जो सत्र अदालत ने ईडी को उनकी हिरासत में पूछताछ के लिए दी थी।

हालांकि, न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने फैसला सुनाया कि ईडी के पास बालाजी को हिरासत में लेने की शक्ति है और इलाज में बिताए गए दिनों को सत्र अदालत द्वारा दी गई हिरासत की अवधि से बाहर रखा जा सकता है।










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