Sonbhadra: 10 सालों से नसीब नहीं हुआ पीने का पानी, देखिए कैसे गुजर-बसर कर रहा है सोनभद्र का गांव

डीएन ब्यूरो

सोनभद्र का एक गांव पिछले 10 सालों से पानी की समस्या से जूझ रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिए कि अब गांव वालों ने क्या कदम उठाया है

प्रदर्शन करते ग्रामीण
प्रदर्शन करते ग्रामीण


ओबरा (सोनभद्र): ग्राम पंचायत बिल्ली मारकुंडी के खैरटिया गांव में वर्षों से चली आ रही पेयजल समस्या को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों की संख्या में आक्रोशित ग्रामीण तख्तियों और बैनरों के साथ सड़क पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 10 वर्षों से शुद्ध पेयजल के लिए तरसते-तरसते अब उनकी हिम्मत जवाब दे गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी कि अगर जल्द ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। हैरानी की बात यह है कि यह गांव योगी सरकार में राज्य मंत्री संजीव गोंड के विधानसभा क्षेत्र ओबरा में आता है, लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।

ग्राम सेवा समिति के अध्यक्ष ने सुनाई सरकार को खरी-खरी

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ग्राम सेवा समिति के अध्यक्ष शिवदत्त दुबे ने कहा, "आजादी के 77 साल बाद भी खैरटिया गांव और उसके आसपास के टोले - बाड़ी, बघमनवा और बिल्ली गांव आंशिक - शुद्ध पानी के लिए तरस रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ओबरा विधायक संजीव गोंड, जो वर्तमान में समाज कल्याण राज्य मंत्री भी हैं, कई बार अवगत कराने के बावजूद हमारी समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।"

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शिवदत्त दुबे ने बताया कि खैरटिया गांव की आबादी करीब 20 हजार है, लेकिन आज भी लोग भूमिगत पानी या टैंकर के सहारे जीवन गुजारने को मजबूर हैं। यहां का भूगर्भ जल फ्लोराइड और आर्सेनिक से दूषित है, जिससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा है। वहीं, रेणुका नदी किनारे बसे इस गांव में बोरिंग भी असफल साबित हो रही है।

हर घर नल-जल योजना बनी मजाक

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार की महत्वाकांक्षी ‘हर घर नल-जल योजना’ भी इस गांव में मजाक बनकर रह गई है। गांव में पाइपलाइन तो बिछाई गई, लेकिन सिंचाई विभाग की लापरवाही के चलते खैरटिया गांव को पेंडिंग में डाल दिया गया। कई बार शिकायत करने के बावजूद न तो विभाग जागा और न ही राज्य मंत्री संजीव गोंड ने कोई ठोस पहल की।

‘चिराग तले अंधेरा’ वाली कहावत हो रही चरितार्थ

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शिवदत्त दुबे ने तंज कसते हुए कहा, “हमने संजीव गोंड को विधायक इसलिए बनाया था कि वह गरीब और आदिवासियों की आवाज बनकर हमारी समस्याएं सरकार तक पहुंचाएंगे। लेकिन आज स्थिति यह है कि उनके अपने ही क्षेत्र के लोग शुद्ध पानी के लिए तरस रहे हैं। चिराग तले अंधेरा वाली कहावत यहां सटीक बैठती है।”

हल नहीं निकला तो उग्र आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि यदि जल्द ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। उन्होंने सरकार से जल्द कार्रवाई की मांग की है, ताकि गांव के लोगों को शुद्ध और सुरक्षित पानी मिल सके।










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