IAS Tripurari Sharan's 'Madhopur Ka Ghar': आईएएस त्रिपुरारि शरण के उपन्यास ‘माधोपुर का घर’ को लेकर दिल्ली में हुआ संवाद
शनिवार को ‘माधोपुर का घर’ नाम का उपन्यास दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में संवाद के केन्द्र में रहा। इस उपन्यास को लिखा है बिहार के पूर्व मुख्य सचिव और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक त्रिपुरारि शरण ने। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों ने दिग्गज हस्तियां जुटीं। डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर:
नई दिल्ली: बिहार के मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद सीनियर IAS अधिकारी (BH:85) और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक त्रिपुरारि शरण अपने नये उपन्यास ‘माधोपुर का घर’ के साथ एक लेखक के रूप में लोगों के बीच उपस्थित हुए।
शनिवार को राजधानी नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक शानदार कार्यक्रम में त्रिपुरारि शरण के उपन्यास ‘माधोपुर का घर’ पर विस्तृत संवाद हुआ। इस मौके पर साहित्य, कला, पत्राकिरता, नौकरशाही, राजनीति से जुड़ी हस्तियां जुटीं। इस पुस्तक को राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।
‘माधोपुर का घर’ उपन्यास लगभग सौ साल और एक परिवार के तीन पीढ़ियों की कहानी है। बिहार में सामाजिक परिवर्तन की पृष्ठभूमि के साथ इतिहास की उथल-पुथल वाली घटनाओं और उनके समाधान का यह जीवंत दस्तावेज भी है। समाज और घर की यह कहानी आज के पाठकों को सामाजिक यथार्थ और अतीत को जानने का मौका देता है। माधोपुर का घर एक साहसी लेकिन गंभीर आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा देने वाला उपन्यास है, जो अपनी मौलिकता, सुंदर भाष्य, विश्वसनीय कथानक, चरित्र-चित्रण, भाषा-शैली और शिल्प के मायनों में बेहद प्रासंगिक और यथार्थवादी है। यह सचाई की ऐसी सरल दास्तान भी है जो बिना ‘बैसाखियों’ के सहारे सीधे पाठक तक पहुँची है।
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पुस्तक के विमोचन के मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत में त्रिपुरारि शरण कहते हैं कि ‘माधोपुर का घर’ के शीर्षक में माधोपुर को एक रूपक के रूप में प्रयोग किया गया है। इस उपन्यास में कई गांवों की कहानी है, जिनकी कहानी और दास्तान में एक समानता मिलती है। इसमें उन सभी गांवों की दास्ताना को पकड़ने की कोशिश की गई है।
आगे त्रिपुरारि शरण कहते हैं, उपन्यास में घर है। सरल तरीके से हम सभी लोग घर की बात करते हैं, घर शब्द का इस्तेमाल करते हैं। कभी हम अकेले में बैठें और सोचे की घर का मतलब क्या है? घर की अवधारणा क्या है? तब हम इस प्रश्न से काफी देर तक लड़ते झगड़ते रहते है। इन्हीं दो रूपकों को लेकर इस पुस्तक का सृजन किया गया है।
इस मौके पर मंच पर मौजूद साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध लेखिका सुश्री अनामिका, उपन्यासकार वंदना राग, उपन्यासकार प्रवीण कुमार ने विस्तार से किताब के बारे में मौजूद लोगों से संवाद किया।
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करीब 1 घंटे 40 मिनट तक चली चर्चा के दौरान सवाल-जवाब का भी सिलसिला हुआ। सभागार में मौजूद श्रोताओं के मन में उठे सवालों का जवाब भी मंच पर बैठे लोगों ने दिया।
कार्यक्रम में भारत निर्वाचन आयोग के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. एसवाई कुरैशी, राज्यसभा के पूर्व महासचिव और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गोरखपुर की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा, दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार, भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण पदों पर रहे वरिष्ठ आईएएस केबी अग्रवाल, राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित आदि इस कार्यक्रम में प्रमुख रुप से मौजूद रहे।