Mumbai: विभिन्न प्रावधानों के स्तर पर स्वयं अनुपालन बढ़ाने की जरूरत
कंपनियों में स्व-संचालन यानी विभिन्न प्रावधानों के स्तर पर स्वयं अनुपालन बढ़ाने की तत्काल जरूरत है। इसका कारण यह है कि अनुपालन और गैर-अनुपालन की लागत काफी बढ़ गई है, क्योंकि लोग मामले में समझौते तक पहुंचने के बजाय कानूनी तौर पर निपटने को तरजीह देते हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: कंपनियों में स्व-संचालन यानी विभिन्न प्रावधानों के स्तर पर स्वयं अनुपालन बढ़ाने की तत्काल जरूरत है। इसका कारण यह है कि अनुपालन और गैर-अनुपालन की लागत काफी बढ़ गई है, क्योंकि लोग मामले में समझौते तक पहुंचने के बजाय कानूनी तौर पर निपटने को तरजीह देते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के कार्यकारी निदेशक वी एस सुंदरसन ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘अनुपालन की लागत काफी बढ़ गयी है... इसीलिए गैर-अनुपालन के मामले बढ़े हैं और फलत: मुकदमों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसीलिए मुझे लगता है कि एकमात्र रास्ता स्व-संचालन के स्तर को बढ़ाना है।’’
सुंदरसन ने उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम में दूरसंचार क्षेत्र में दो दशक पुराने विवादों खासकर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चले कानूनी विवाद के बाद सरकार एक कंपनी के बकाये को इक्विटी में बदलने को मजबूर हुई और अन्य कंपनियों को भुगतान के लिये अतिरिक्त समय दिया।
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उन्होंने कहा कि लंबी कानूनी लड़ाई में हर कोई बड़ी राशि के साथ-साथ समय और संसाधन गंवाता है। यह बात अन्य कानूनी विवादों में भी लागू होती है। चाहे मामला अदालत में हो या फिर न्यायाधिकरण के स्तर पर।
सुंदरसन के अनुसार, यह समय सही निर्णय करने का है। मुकदमेबाजी चुनने के बजाय, हमें विवाद होने पर आत्म-सुधार के उपाय करने चाहिए और सहमति के आधार पर समझौता करना चाहिए क्योंकि ज्यादातर मामलों में कानूनी लड़ाई केवल पैसे और समय की बर्बादी का कारण बन सकती है।
उन्होंने बाजार को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर कहा कि नियामक और बाजार प्रतिभागियों के सभी प्रयासों के बाद भी 55 प्रतिशत बाजार अब भी चार महानगरों में केंद्रित है।
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सुंदरसन ने कहा कि निवेशकों में जागरूकता की गंभीर कमी है क्योंकि वे नहीं जानते कि उनके लिए सही उत्पाद क्या है और इसलिए वे पैसा गंवाते हैं।