RBI Monetary Policy: जानिए RBI ने रेपो रेट में क्यों नहीं किया कोई बदलाव

डीएन ब्यूरो

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं


नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को हुई मीटिंग (Meeting) में  रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव (Change) नहीं करने का निर्णय लिया है। आरबीआई ने लगातार 10वीं बार इसे यथावत रखा है अर्थात 6.5 रखा है। यह निर्णय (Decision) मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) की ओर से बहुमत के साथ लिया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास और मौद्रिक नीति समिति के बाकी सदस्य ने नितिगत दरों में किसी भी प्रकार का बदलाव न करने का फैसला किया है। 

आरबीआई ने क्यों लिया यह फैसला
जानकारों की मानें तो आरबीआई चाहता है कि महंगाई नियंत्रण में रहे और आर्थिक विकास की गति भी बनी रहे। इसलिए रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया गया है। आपको बता दें कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग तीन दिन चली थी जिसके बाद यह फैसला हुआ है। 

RBI के फैसले का आम जनता और आप पर क्या असर होगा?
आरबीआई अगर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है तो इसके असर से बैंकों पर सस्ता कर्ज नहीं करने का कोई कारण नहीं होगा और देश में कर्ज की दरों की मौजूदा स्थिति बरकरार रह सकती है। 

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चूंकि आरबीआई के ब्याज दरों को सस्ता करने के बाद बैंकों को भी अपने लोन की दरें सस्ती करने का दबाव होता है जिसके बाद बैंक अपने होम लोन, कार लोन आदि को सस्ता कर सकते हैं जिससेआपके लिए इस फेस्टिव सीजन में अच्छा तोहफा मिल सकता है।

गौरतलब है कि पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया गया था। इसके बाद से अब तक इसे एक समान ही रखा गया है। रेपो रेट के बारे में सूचित करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बयान में कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है।

इजरायल-ईरान तनाव 
जानकारी के मुताबिक इजरायल और ईरान संघर्ष से क्रूड की कीमतें में भारी उछाल आया है। इससे सप्लाई चेन भी बाधित होने की आशंका है। इस स्थिति में महंगाई उफान मार सकती है। आरबीआई की नजर इस फैक्टर पर है। इसका जिक्र आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी किया।

आरबीआई का कहना है कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बढ़ रही हैं, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। यह भी एक वजह है कि आरबीआई ने ब्याज दर घटाने का जोखिम नहीं लिया। 

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