Guru Gobind Singh Ji के प्रकाश पर्व से पहले रायबरेली में निकाली गई प्रभात फेरी, नगर कीर्तन में उमड़े श्रद्धालु
सिखों के 10वें गुरु साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व से पहले रायबरेली में सिख धर्म के अनुयायियों ने आज प्रभात फेरी निकाली। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी खबर

रायबरेली: सिखों के 10वें गुरु साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व से पहले रायबरेली में सिख धर्म के अनुयायियों ने आज प्रभात फेरी निकाली। सफ़ेद वस्त्र और केसरिया चुन्नी पहनकर गुरुवाणी गाते भक्त भक्ती में डूबे नज़र आए। यहां महिलाएं भी कीर्तन कर रही थीं तो बच्चे और युवा करतब दिखा रहे थे।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, नगर कीर्तन का जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पों के साथ जोरदार स्वागत किया। कीर्तन में गुरु गोविंद सिंह जी के पावन नाम की धूम रही। नगर कीर्तन में सबसे आगे पंज प्यारे चल रहे थे। उनके पीछे नगर कीर्तन में स्कूल के बच्चे, शबद कीर्तन जत्था और श्री गुरुग्रंथ साहिब महाराज की पालकी थी।
गुरुद्वारों में की गई भव्य सजावट
इस मौके पर गुरुद्वारों में भी भव्य सजावट की गई है। साथ ही इस खास मौके पर गुरुद्वारों में विशेष पूजा और कार्यक्रम आयोजित किए गए है। इसके अलावा शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया गया।
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सिखों के दसवें गुरु थे गुरु गोविंद सिंह
गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। पिता गुरु तेग बहादुर जी की मृत्यु के बाद 11 नवंबर, 1675 में वह गुरु बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरु थे। साल 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी और उन्होंने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया, साथ ही उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया गया।
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मदिन
गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व सिख धर्म का एक पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो सिख धर्म के दसवें गुरु थे। गुरु जी ने अपने जीवन में सिख धर्म को एक नई दिशा दी और इसे एक संगठित और सशक्त रूप दिया। उन्होंने 'खालसा पंथ' की स्थापना की और सिखों को धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनका जीवन बलिदान, साहस और मानवता की सेवा का प्रतीक है।
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गुरु जी के उपदेशों को किया जाता है याद
इस अवसर पर गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन और अरदास का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु प्रभात फेरियों में भाग लेते हैं और गुरु जी के उपदेशों को याद करते हैं। लंगर का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हर वर्ग और धर्म के लोग मिलकर भोजन करते हैं। यह पर्व हमें गुरु गोविंद सिंह जी के आदर्शों और शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है।
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