संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत शक्ति का प्रयोग असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत उसके अधिकार बहुत व्यापक और असाधारण हैं तथा दुर्लभ एवं असाधारण मामलों में इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत उसके अधिकार बहुत व्यापक और असाधारण हैं तथा दुर्लभ एवं असाधारण मामलों में इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
यह अनुच्छेद विशेष अनुमति याचिकाओं को मंजूर करने के लिए शीर्ष अदालत को विवेकाधीन शक्तियां प्रदान करता है।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने जम्मू कश्मीर के निवासी इम्तियाज अहमद मल्ला की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। मल्ला ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी।
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उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस में कांस्टेबल के रूप में मल्ला की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश के खिलाफ उनकी अपील को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी न्यायसंगत थी कि पुलिस पदानुक्रम में शीर्ष अधिकारी होने के नाते महानिदेशक, पुलिस बल में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ता की उपयुक्तता पर विचार करने के संबंध में सर्वाधिक योग्य मूल्यांकनकर्ता थे।
पीठ कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश ‘‘न्यायसंगत और उचित’’ था, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत इसमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
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पीठ ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 136 का दायरा बहुत व्यापक है, इसके तहत प्रदान की गई शक्ति बहुत ही विशेष और असाधारण शक्ति है। हालांकि इसे दुर्लभ और असाधारण मामलों में प्रयोग किया जाना है।’’
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, याचिका में मल्ला का चयन 2008-2009 में जम्मू कश्मीर कार्यकारी पुलिस में कांस्टेबल के पद के लिए हुआ था, लेकिन बाद में पता चला कि उनके खिलाफ 2007 में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
इसके बाद एक मार्च, 2010 के एक आदेश द्वारा उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई। हालांकि, बाद में उन्हें अप्रैल 2011 में आपराधिक मामले में बरी कर दिया गया था।