आग का खेल, जलते पत्तों की बौछार और आस्था का जश्न! वीडियो में देखें कैसे मनाया गया कर्नाटक में 'तूतेधारा' त्योहार
कर्नाटक के मंगलुरु में स्थित कटील श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर में हर साल एक अनोखा त्योहार मनाया जाता है, जिसे 'तूतेधारा' या 'अग्नि केली' के नाम से जाना जाता है।
कर्नाटक: मंगलुरु में स्थित कटील श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर में हर साल एक अनोखा त्योहार मनाया जाता है, जिसे 'तूतेधारा' या 'अग्नि केली' के नाम से जाना जाता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे पर जलते हुए ताड़ के पत्ते फेंकते हैं, जिसका दृश्य किसी को भी हैरान कर सकता है।
सदियों पुरानी परंपरा
माना जाता है कि अग्नि केली की परंपरा सदियों पुरानी है। यह परंपरा आत्तूर और कलात्तूर नामक दो गांवों के लोगों के बीच होती है। इस त्योहार को आठ दिनों तक मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है त्योहार?
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त्योहार के दौरान, लोग दो समूहों में बंट जाते हैं और एक-दूसरे पर जलते हुए ताड़ के पत्ते फेंकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे बुरी शक्तियों का नाश होता है और अच्छी फसल होती है।
ध्यान देने योग्य बातें
• इस त्योहार में भाग लेने वालों को विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं
• त्योहार के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं
• यह त्योहार कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का एक अनूठा उदाहरण है
आस्था का प्रतीक
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हालांकि यह त्योहार खतरनाक लग सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह आस्था और परंपरा का प्रतीक है। वे मानते हैं कि देवी दुर्गा उनकी रक्षा करती हैं और उन्हें इस खेल में कोई नुकसान नहीं होता।
पर्यटकों के लिए आकर्षण
अग्नि केली त्योहार पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। हर साल बड़ी संख्या में लोग इस अनोखे त्योहार को देखने के लिए कटील मंदिर आते हैं।