बिहार पुलिस की गलती के कारण तीन माह तक काटनी पड़ी जेल

डीएन ब्यूरो

यूं तो पुलिस के कई तरह का कारनामे आये दिन सामने आते रहते है लेकिन यदि पुलिस की लापरवाही या गलती के कारण किसी को जेल की सजा काटनी पड़े तो इससे ज्यादा अफसोसजनक बात और कुछ हो ही नहीं सकती। डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़ें बिहार के एक इसी तरह के मामले के बारे में..

बिहार पुलिस (फाइल फोटो)
बिहार पुलिस (फाइल फोटो)


पटना: फेसबुक पोस्ट के जरिये बिहार के पूर्व डीजीपी को कथित तौर पर बदनाम करने के मामले में आरोपी युवक जितेंद्र कुमार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुमारी विजया की अदालत ने जमानत दे दी है। इस मामले में 28 वर्षीय जितेंद्र कुमार पिछले लगभग तीन माह (89 दिन) से जेल की सजा काट रहा था। मामले की उच्चस्तरीय जांच के बाद अब युवक को रिहा कर दिया गया है। उच्चस्तरीय जांच में जितेंद्र की गिरफ्तारी में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आयी है।

अदालत द्वारा जमानत पाने वाले युवक जितेंद्र कुमार 'सुपर 30' कोचिंग सेंटर के संस्थापक आनंद कुमार के कथित तौर पर मित्र हैं। पुलिस ने जितेंद्र पर राज्य के पूर्व डीजीपी और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अभयानंद की फेसबुक वाल पर एक आपत्तिजनक पोस्ट डालने का आरोप लगाया था। इस मामले में दिलचस्प बात यह भी है कि 'सुपर 30' के संस्थापक आनंद और अभ्यानंद ने सुपर 30 के शुरुआती दिनों में एक साथ काम किया था लेकिन कुछ विवादों के कारण दोनों बाद में अलग हो गए थे।

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जानकारी के मुताबिक जितेंद्र की गिरफ्तारी के बाद सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने राज्य के डीजीपी कृष्ण स्वरूप द्विवेदी समेत कई सीनियर पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाई थी। डीजीपी के हस्तक्षेप के बाद अतिरिक्त महानिदेश जेएस गंगवार के नेतृत्व में मामले की जांच की गयी, जिसमें जितेन्द्र की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आयी। पटना सिटी के एसपी डी. अम्रकेश का कहना है कि साइबर सेल के साथ स्पेशल ब्रांच द्वारा की गयी जांच में यह सामने आया कि जितेंद्र का खिलाफ दर्ज मामला गलत तथ्यों का परिणाम है। आखिरकार पुलिस की इस जांच को दृषिटिगत करते हुए आअदालत ने भी जितेंद्र को जमानत दे दी है। 

जितेन्द्र के वकील मनीष शंकर ने रविवार को कहा कि 11 जुलाई को गिरफ्तार किये गये जितेन्द्र कुमार को अदालत ने जमानत दे दी है। इस मामले में जितेन्द्र का नाम मुख्य आरोपी आदित्य कुमार ने लिया था। आदित्य के खिलाफ शहर के कोतवाली पुलिस थाना में एक एफआईआर दर्ज है और उस पर सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अभयानंद के फेसबुक पेज पर एक आपत्तिजनक पोस्ट डालने का आरोप है। वकील ने कहा कि दुर्भाग्यवश आदित्य द्वारा दिये गये महज एक बयान के आधार पर पुलिस ने जितेन्द्र को पकड़ लिया था और उसे जेल भेज दिया गया था, जबकि वह निर्दोष था।

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वकील के मुताबिक जितेन्द्र के मामले में अदालत के सामने पुलिस के कई गतल तथ्य सामने आये। पुलिस की गलती की सजा जितेंद्र को भुगतनी पड़ी, जिस कारण उसका बैंकिंग करियर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस मामले में कोतवाली पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आयी और एक निर्दोष को तीन नहीं जेल में काटना पड़ा। 










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