अब दान जुटाने वाले मंचों को भी करना होगा प्राप्त शुल्क का खुलासा, पढ़ें ये नए दिशानिर्देश

लोगों से चंदा आदि प्राप्त करने वाले ‘क्राउडसोर्सिंग’ मंचों को अब परमार्थ कार्यों के लिये दान मांगते समय इस बात का खुलासा करना होगा कि उन्होंने इसके लिये क्या शुल्क लिया है। विज्ञापन उद्योग के लिये स्वनियमन निकाय एएससीआई ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 20 July 2023, 5:17 PM IST
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मुंबई: लोगों से चंदा आदि प्राप्त करने वाले ‘क्राउडसोर्सिंग’ मंचों को अब परमार्थ कार्यों के लिये दान मांगते समय इस बात का खुलासा करना होगा कि उन्होंने इसके लिये क्या शुल्क लिया है। विज्ञापन उद्योग के लिये स्वनियमन निकाय एएससीआई ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

क्राउडसोर्सिंग मंच लोगों के समूह से जानकारी, राय, चंदा संग्रह का काम करता है।

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने परमार्थ कार्यों के लिये विज्ञापनों को लेकर जारी दिशानिर्देश में यह भी साफ किया है कि समस्या में घिरे पीड़ितों, विशेषकर बच्चों और नाबालिगों की तस्वीरों का उपयोग विज्ञापनदाताओं को नहीं करना चाहिए।

इसमें कहा गया है, ‘‘यदि कोई ‘क्राउडसोर्सिंग’ मंच दानदाता से कोष जुटाने या उसके प्रबंधन के लिये कोई शुल्क लेता है, तो यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ऐसी राशि कितनी है।’’

उल्लेखनीय है कि केटो जैसे ‘क्राउडसोर्सिंग’ मंच लोगों से धर्मार्थ कार्यों के लिये किये गये दान का पांच प्रतिशत हिस्सा लेते हैं।

परिषद के अनुसार, हाल के समय में यह देखा गया है कि धर्मार्थ संगठन कोष एकत्रित करने के लिये सक्रिय रूप से प्रचार-प्रसार में लगे रहते हैं। गैर-लाभकारी संस्थान स्वयं प्रचार-प्रसार कर या फिर प्रायोजित विज्ञापनों माध्यम से संभावित दानदाताओं तक पहुंचते हैं।

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद की मुख्य कार्यपालक अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘‘एएससीआई यह मानती है कि परमार्थ संगठनों का काम चुनौतीपूर्ण है। वह प्राय: संवदेशील और महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़े होते हैं तथा जरूरतमंदों के लिये कोष जुटाते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करें या उन लोगों को अनुचित परेशानी में पहुंचाएं जो ऑनलाइन जुड़े हों।’’

दिशानिर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी विज्ञापन में खुले तौर पर या स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जाना चाहिए कि जो कोई भी इस मुहिम का समर्थन नहीं करता है वह अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल है।

इसमें कहा गया है कि डिजिटल विज्ञापन में दिखाई गई कोई भी तस्वीर जो सामान्य उपभोक्ता को अनुचित परेशानी का कारण बन सकती है, उसे धुंधला किया जाना चाहिए और केवल उन लोगों को दिखाई देनी चाहिए, जो अधिक जानने में रुचि रखते हैं।

विज्ञापनदाताओं को यह भी बताना होगा कि एकत्र किए गये धन का उपयोग क्या दूसरे कार्यों में भी किये जाने की कोई संभावना है। साथ ही विज्ञापनों के जरिये उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करना चाहिए।

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