Noida Supertech Case: नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामले में यूपी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस संजीव मित्तल की अध्यक्षता में बनायी 4 सदस्यीय जांच कमेटी, मनोज सिंह, राजीव सब्बरवाल और अनूप बने सदस्य

डीएन संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवरों के बाद बिल्डर और अफसरों के गठजोड़ में हड़कंप है। नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामले में यूपी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस संजीव मित्तल की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनायी है। पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

नोएडा में बने सुपरटेक के अवैध टॉवर
नोएडा में बने सुपरटेक के अवैध टॉवर


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवरों के बाद बिल्डर और अफसरों के गठजोड़ में हड़कंप है। नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामले में यूपी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस संजीव मित्तल की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनायी है। 

इसमें पंचायती राज के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सब्बरवाल और यूपी के मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव को सदस्य बनाया गया है।

इन्हीं दो टॉवरों को गिराने का दिया गया है आदेश

सीएम योगी ने इस चार सदस्यीय कमेटी को एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। 

यह भी पढ़ें | हाथरस कांड: सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का हलफनामा, पढिये.. रात को युवती के अंतिम संस्कार पर सरकार की ये सफाई

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार फौरन हरकत में आय़ी और गुरुवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट में नोएडा प्राधिकरण की ओर से पैरवी की जिम्मेदारी संभाल रहे नोएडा के तत्कालीन नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल को उच्च अधिकारियों से तथ्य छिपाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। 

सुपरटेक एमेराल्ड केस (Supertech emerald court demolition case) में सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया है। सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे।

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए।

यह भी पढ़ें | नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की नापाक मिलीभगत की वजह से बने, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था। कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी।

साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। कोर्ट ने माना कि बिल्डर ने मंजूरी मिलने से पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी नोएडा अथॉरिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया। 

पहले सुप्रीम कोर्ट का आदेश और अब यूपी सरकार की जांच की आंच से नोएडा में बिल्डर-माफियाओं-अफसरों के गठजोड़ में जबरदस्त दहशत का माहौल व्याप्त है। 










संबंधित समाचार