Chhattisgarh: बस्तर में भाजपा नेताओं की हत्या, सदन में हंगामा
छत्तीसगढ़ विधानसभा में बृहस्पतिवार को राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर क्षेत्र में कथित धर्मांतरण का विरोध करने पर संदिग्ध नक्सलियों द्वारा पार्टी के नेताओं की 'लक्षित' हत्या पर चर्चा की मांग की और सदन में जमकर हंगामा मचाया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बृहस्पतिवार को राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर क्षेत्र में कथित धर्मांतरण का विरोध करने पर संदिग्ध नक्सलियों द्वारा पार्टी के नेताओं की 'लक्षित' हत्या पर चर्चा की मांग की और सदन में जमकर हंगामा मचाया।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा और गर्भगृह में नारेबाजी के कारण भाजपा विधायकों को भी दो बार निलंबित किया गया। सदन में प्रश्नकाल के बाद भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर समेत अन्य भाजपा सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि बस्तर के लोग कथित धर्मांतरण का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग की।
ईसाई मिशनरियों और माओवादियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए शर्मा ने कहा कि पिछले एक महीने में बस्तर संभाग (जिसमें सात जिले शामिल हैं) में जबरन धर्मांतरण का विरोध करने वाले चार भाजपा नेताओं को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या कर दी गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वहीं चंद्राकर ने कहा कि बस्तर 'अघोषित आपातकाल' की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक साजिश के तहत आदिवासी बहुल क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
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भाजपा सदस्यों ने राज्य सरकार और पुलिस पर कथित धर्मांतरण में शामिल लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की।
भाजपा विधायकों के आरोपों के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा पर पलटवार किया और कहा कि क्षेत्र में पिछली भाजपा सरकार के दौरान लक्षित हत्याएं हो रही थीं।
भूपेश बघेल सरकार के दौरान नक्सल गतिविधियों को नियंत्रण में लाया गया है। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम को सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए लगातार दो बार स्थगित करनी पड़ी।
कार्यवाही फिर से शुरू होने के बाद भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कुछ मंत्रियों पर आरोप लगाया कि वह भाजपा सदस्यों को इस मुद्दे को उठाने में बाधा पहुंचा रहे हैं। उन्होंने उपाध्यक्ष से मंत्रियों को सदन से बाहर भेजने की मांग की।
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इसके बाद उपाध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव नोटिस को खारिज कर दिया, जिससे सदन में हंगामा हुआ और भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में आ गए और स्वतः ही निलंबित हो गए। इसके बाद उपाध्यक्ष को तीसरी बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होते ही उपाध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों के निलंबन को रद्द कर दिया, लेकिन भाजपा विधायक फिर से गर्भगृह में आ गए और सत्ताधारी कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। उपाध्यक्ष ने फिर विपक्षी सदस्यों के निलंबन की घोषणा की। निलंबित किए जाने के बावजूद, विपक्षी विधायकों ने गर्भगृह में नारेबाजी करते रहे। तब उपाध्यक्ष ने कार्यसूची में सूचीबद्ध कार्यों को आगे बढ़ाया।