MDH ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन, जानिये उनके बारे में कुछ खास बातें

डीएन ब्यूरो

एमडीएच ग्रुप के मालिक और संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। धर्मपाल बीमारी के चलते पिछले कई दिनों से हॉस्पिटल में एडमिट थे। डाइनामाइठ न्यूज की पूरी रिपोर्ट

धर्मपाल गुलाटी (फाइल फोटो)
धर्मपाल गुलाटी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: एमडीएच ग्रुप के मालिक और संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। धर्मपाल बीमारी के चलते पिछले कई दिनों से हॉस्पिटल में एडमिट थे। उन्होंने माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली, जहां वो बीमारी के बाद इलाज के लिये भर्ती थे। महाशय धर्मपाल के निधन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं और प्रमुख हस्तियों  ने गहरा दुख जाहिर किया है।

2019 में मिला पद्म भूषण 

'दादजी',  'मसाला किंग', 'किंग ऑफ स्पाइसेज' और 'महाशयजी' के नाम से मशहूर धरमपाल गुलाटी को पिछले साल 2019 में साल सरकार द्वारा देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। एमडीएच मसाला के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान करते थे।

पाकिस्तान में जन्म, दिल्ली में कारोबार

बेहद कम पढ़े लिखे और अल्प संसाधनों के बावजूद भी एमडीएच जैसे बड़े वैंचर की स्थापना कर देश-विदेश में नाम कमाने वाले धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 1947 में वे भारत  आ गए थे। भारत पहुंचने पर वह कुछ दिनों तक अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में भी रहे। अमृतसर से वह दिल्ली आये और यहां पर शुरूआती दिनों में उन्होंने तांगा चलाकर अपने और परिवार का भरण पोषण किया।

1500 रुपयों से कारोबारी यात्रा

बताया जाता है कि दिल्ली आते समय उनके पास केवल 1500 रुपये थे। इन्हीं 1500 रूपयों की बदौलत उन्होंने शुरूआत में कई तरह के छोटे-मोटे कारोबार किये और आखिराकर एमडीएच जैसे बड़े ग्रुप की स्थापना की।

5वीं कक्षा तक पढ़ाई

दिल्ली आने से पहले साल 1933 में उन्होंने पाकिस्तान में ही 5वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। साल 1937 में उन्होंने अपने पिता की मदद से वहां भी व्यापार शुरू किया। लेकिन लंबे वक्त ये काम नहीं कर सके। 

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड तक तांगा

धर्मपाल ने अपने पिता के साथ 'महेशियां दी हट्टी' (एमडीएच) के नाम की दुकान में काम करना शुरू किया। पाकिस्तान से दिल्ली पहुंचने के बाद महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा चलाया। कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू किया। मसाले का उनका यह कारोबार चल निकला और एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई।

सफलतम ब्रांड और वैंचर

आज मसालों का यह ब्रांड भारत ही नहीं कई देशों तक पहुंच रहा है। घरेलू मार्केट के अलावा एमडीएच कंपनी ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा आदि सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का बड़े पैमाने पर निर्यात करती है। यह एक सफलतम ब्रांड और वैंचर बन चुका है, जिससे व्यवसायिक प्रबंधन से जुड़े देश-विदेश के लोग भी सीख लेते हैं।  










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