यूपी में दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों पर सरकार की नजर, कई योजनाओं और सुविधाओं में हो सकती कटौती

डीएन संवाददाता

देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों को भविष्य में कई सरकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ सकता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

यूपी सरकार ला सकती है जनसंख्या नियंत्रण कानून (फाइल फोटो)
यूपी सरकार ला सकती है जनसंख्या नियंत्रण कानून (फाइल फोटो)


लखनऊ: देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सरकार जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण औक कानूनी कदम उठा सकती है। जिससे राज्य में दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों के लिये कुछ सरकारी योजनाओं और सुविधाओं कटौती के रूप में कुछ नयी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बताया जा रहा है कि राज्य विधि आयोग ने प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून का मसौदा बनाना शुरू कर दिया है, जिसे मंजूरी मिलने के बाद सरकार इसे लागू कर सकती है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक योगी सरकार अत्यधिक आबादी वाले देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में संसाधनों समेत सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का प्रलोभन देकर जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में कार्य कर सकती है। इसके लिये ‘हम दो हमारे दो’  वाले फार्मूले को चरितार्थ करने वाले अभिभावकों को अपेक्षाकृत ज्यादा सुविधाएं दी जा सकती है। हाल के दिनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों ने भी इस तरह के कानून को लागू करने की बात कही है। अब उत्तर प्रदेश भी राज्य की आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में ऐसे ही कदम उठा सकती है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिये राज्य विधि आयोग ने उत्त प्रदेश में नये कानून का मसौदा बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिये आयोग दो से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित किए जाने समेत विभिन्न बिंदुओं व विकल्पों पर अध्ययन करेगा। माना जा है कि आयोग जल्द अपना प्रतिवेदन तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगा। जिसके बाद राज्य सरकार इस दिशा में जरूरी निर्णय ले सकती है।

जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में विधि आयोग ने कई विकल्पों पर अपना काम शुरू किया है। खासकर सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए, इस पर मंथन होगा। फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती के विभिन्न पहलुओं पर विचार शुरू कर दिया गया है। माना जा रहा है कि आयोग का मसौदा सामने आने के बाद सरकार इस पर कोई ठोस फैसला ले सकती है।

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर असोम, राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू कर किया गया है। बेरोजगारी व भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर विभिन्न बिंदुओ पर विचार के आधार पर प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा।










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