

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल डॉ कफील खान पर लगाए गए एनएसए को अवैध करार देते हुए उन्हें शीघ्र जेल से रिहा करने के निर्देश दिये थे। कोर्ट के इस अहम आदेश के बाद काफील खान को देर रात रिहा कर दिया गया। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट..
लखनऊ: एनएसए एक्ट के तहत गिरफ्तार किये गये गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर देर रात मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहाई के मौके पर डॉक्टर कफील ने हाईकोर्ट को शुक्रिया अदा किया।
जेल से रिहा होने के बाद कफील खान ने एक अहम बयान देते हुए हुए सरकार से उन्हें दोबारा नौकरी देने की मांग की। उन्होंने कहा कि नौकरी वापस मिलने से वह कोरोना संकट के इस दौर में लोगों की मदद कर सकेंगे।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर कफील को सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भड़काऊ बयान देने के मामले में एनएसए के तहत जेल भेजा गया था। कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डा. कफील खान पर लगाए गए एनएसए को अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया है और उन्हें फ़ौरन जेल से रिहा किये जाने के आदेश दिया था।
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अदालत ने इस मामले में तल्ख़ टिप्पणी करते हुए यूपी के सरकारी अमले के कामकाज और फैसले पर सवाल उठाए। डा. कफील को मिली राहत की दो सबसे बड़ी वजह एनएसए के लिए पर्याप्त आधार का न होना और एनएसए लगने के बाद जेल में आरोपी को सभी दस्तावेज मुहैया न कराना रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश से रिहा होने के बाद डॉक्टर कफील अहमद ने सरकार से मांग की है कि उन्हें उनकी नौकरी वापस दी जाए जिससे वो लोगों की इलाज से मदद कर सकें। डॉक्टर कफील का कहना है कि वो बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों की मदद करना चाहते हैं, क्योकि बाढ़ के दौरान इन इलाकों में बीमारियां ज्यादा फैलती हैं।
कफील की रासुका अवधि गत छह मई को तीन माह के लिये बढ़ाया गया था। गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गत 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिये और बढ़ा दी थी।
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