संकट में कोसी! लुप्त हो रही है उत्तराखंड की जीवनदायिनी नदी; जानिये वजह
उत्तराखंड की प्रमुख नदियों में से एक कोसी नदी आज गंभीर संकट से जूझ रही है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

हरिद्वार: उत्तराखंड की प्रमुख नदियों में से एक कोसी नदी आज गंभीर संकट से जूझ रही है। एक समय गर्मियों में यह 790 किलोलीटर प्रति सेकंड की गति से बहती थी, लेकिन अब यह 48 लीटर प्रति सेकंड के प्रवाह के साथ समुद्र तट तक पहुंच गई है। यह ताजा खबर उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सलाहकार प्रोफेसर जेएससी रावत के नेतृत्व में सर्वेक्षण क्षेत्र में की गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोसी को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जंगलों के लिए भी जीवनदायिनी माना जाता है। यह नदी धारापानी, कौसानी से निकलकर सोमेश्वर, अछम्बा, सम्पर्क से होते हुए उधमसिंह नगर तक फैलती है और फिर यूपी में रामगंगा में मिल जाती है।
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सर्वे ऑफ़ इंडिया विभाग के अनुसार 1965 में कोसी नदी का क्षेत्रफल 225.6 किमी था, लेकिन अब यह सिर्फ़ 41.5 किमी तक सीमित रह गई है। आलम यह है कि गर्मियों में इसकी 21 सहायक नदियों में से 20 पूरी तरह सूख जाती हैं।
कोसी के ज्वालामुखी के मुख्य कारण
- जलवायु परिवर्तन
- अवैज्ञानिक वैज्ञानिक
- मानवजनित शोरूम
- रिचर्ड जोन का विनाश
2040 तक विलुप्त हो सकती है कोसी!
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प्रो. रावत का कहना है कि अगर रिचर्ड और सहायक नदियों को जल्द ही समाप्त नहीं किया गया तो 2040 के बाद नदी पूरी तरह विलुप्त हो सकती है। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका और जलापूर्ति के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन सकती है। अब समय आ गया है कि सरकार, पर्यावरणविद और आम जनता एक साथ आकर ठोस कदम उठाएं। अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए तो हम इस अमूल्य प्राकृतिक खनिज को हमेशा के लिए खो सकते हैं।