जम्मू-कश्मीर: सैनिकों और स्थानीय लोगों ने मिलजुलकर मनाया नए साल का जश्न

डीएन ब्यूरो

देशभर के लोगों ने रविवार रात को नए साल का स्वागत किया, लेकिन नियंत्रण रेखा पर मौजूद देश के सैनिकों ने इससे कुछ समय पहले नए साल का जश्न मनाया क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अपनी रात्रिकालीन ड्यूटी पर जाना था। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नए साल का जश्न
नए साल का जश्न


चुरुंडा: देशभर के लोगों ने रविवार रात को नए साल का स्वागत किया, लेकिन नियंत्रण रेखा पर मौजूद देश के सैनिकों ने इससे कुछ समय पहले नए साल का जश्न मनाया क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अपनी रात्रिकालीन ड्यूटी पर जाना था।

जवानों ने अपनी ड्यूटी पर लौटने से पहले स्थानीय लोगों के साथ गर्म चाय पी, भोजन किया और नृत्य कर नव वर्ष का जश्न मनाया तथा एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं।

सैनिकों का नए साल का जश्न जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के चुरुंडा गाँव में रविवार की शाम लगभग चार बजे शुरू हुआ। इस दौरान सेना और ग्रामीणों ने एक-दूसरे को आश्वस्त किया कि वे सुख-दुख में एक साथ हैं।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लाल हसन कोहली ने बताया, 'जब कभी भी नागरिकों को कोई भी समस्या होती है तो सेना सबसे पहले अपनी प्रतिक्रिया देती है और आवश्यकता पड़ने पर नागरिक भी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं।'

उन्होंने कहा 'नए साल का जश्न कार्यक्रम सेना ने आयोजित किया था। मैं इसके लिए सेना को बधाई और धन्यवाद देता हूं। जब भी हम किसी कठिनाई का सामना करते हैं, तो सबसे कठिन समय में सेना हमारी मदद के लिए आती है।'

कोहली ने कहा कि स्थानीय जनता दुश्मन को हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने देने के लिए सेना की आभारी है।

उन्होंने कहा 'हम सेना के साथ सभी महत्वपूर्ण दिन मनाते हैं। गणतंत्र दिवस नजदीक है और फिर अगस्त में हमारा स्वतंत्रता दिवस है। सैनिक गांव में शादियों में भी शामिल होते हैं। हम भाइयों की तरह रहते हैं। सेना के साथ हमारा भाईयों जैसा रिश्ता है और हम प्रार्थना करते हैं कि यह मजबूत रहे।'

गांव के सरपंच लाल दीन खताना ने कहा कि इस तरह के आयोजन लोगों को और सैनिकों को भी अपने मतभेद दूर कर आनंद लेने का अवसर देते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक स्थानीय स्कूल के शिक्षक जहांगीर लतीफ ने नियंत्रण रेखा के करीब बसे इस हिस्से में 2023 के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए सेना को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा ‘‘मुझे उम्मीद है कि इसी तरह हम शांति और सद्भाव के साथ आगे भी रहेंगे और 2024 भी शांतिपूर्वक गुजरेगा।’’

नए साल के जश्न के बाद ग्रामीण अपने घर वापस चले गए और सैनिक नियंत्रण रेखा पर गश्त करने की अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए।










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