मध्य भारत में भू-जल को कोष के रूप में बचाया जाना बेहद जरूरी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने मध्य भारत में भू-जल स्तर में गिरावट पर शुक्रवार को चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश के केंद्रीय हिस्से में भूमिगत जल स्तर को एक कोष के रूप में बचाया जाना बेहद जरूरी है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
इंदौर: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने मध्य भारत में भू-जल स्तर में गिरावट पर शुक्रवार को चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश के केंद्रीय हिस्से में भूमिगत जल स्तर को एक कोष के रूप में बचाया जाना बेहद जरूरी है।
इंदौर में जिला पर्यावरण योजना और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों की प्रगति की समीक्षा बैठक के बाद अहमद मीडिया से मुखातिब थे।
उन्होंने कहा,‘‘मध्य भारत में भू-जल बेहद गहराई में मिल रहा है और देश के इस हिस्से के लिए यह एक कोष की तरह है। इस कोष को बचाने का धर्म निभाया जाना बेहद जरूरी है।'
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अहमद ने जोर देकर कहा कि तमाम सरकारी विभागों को सुनिश्चित करना चाहिए कि औद्योगिक इकाइयां पर्यावरण संरक्षण के तमाम मानकों का पालन करें ताकि भू-जल में प्रदूषित पानी नहीं मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखने वाली बावड़ियां पर्यावरण की प्रमुख अंग हैं और भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए प्रशासन द्वारा आम लोगों के सहयोग से इन प्राचीन जल स्त्रोतों को बचाया जाना बेहद जरूरी है।
अहमद ने यह बात उस इंदौर में कही, जहां एक मंदिर का फर्श 30 मार्च को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान धंस गया था जिसके कारण बावड़ी में गिरने से 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी। जर्जर हो चुका यह मंदिर बावड़ी पर बनाया गया था।
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एनजीटी सदस्य ने साफ-सफाई के टिकाऊ उपायों के लिए देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की तारीफ की। अहमद ने बताया कि एनजीटी ने देश के सभी सूबों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे इंदौर का स्वच्छता मॉडल अपनाएं।