Indian Railways: उत्तर प्रदेश के लिये निकली ट्रेन पहुंची 3 साल में, अब सामने आई असली कहानी

सोशल मीडिया (Social Media) पर दावा किया जा रहा है कि एक कार्गो ट्रेन को अपनी डेस्टिनेशन (Destination) पर पहुंचने में करीब 3 साल का समय लग गया। जानिए इस दावे की पूरी कहानी। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी खबर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 11 December 2024, 5:00 PM IST
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नई दिल्ली: भारतीय रेल (Indian Railways) को अक्सर लेटलतीफी का टैग मिलता है। सर्दियों में कोहरे की वजह से ट्रेन (Train) और भी ज्यादा लेट हो जाती है। आपकी ट्रेन अब तक कितनी लेट हुई होगी, 1 घंटा, 2 घंटा या ज्यादा से ज्यादा 12 या 15 घंटे। लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी ट्रेन को अपनी डेस्टिनेशन (Destination) तक पहुंचने के लिए करीब 4 साल का समय लग गया हो। ऐसा ही एक दावा सोशल मीडिया (Social Media) पर किया जा रहा है। चलिए जानते हैं, इस बात में कितनी सच्चाई है।

क्या है दावा?

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि साल 2014 में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विशाखापत्तनम (Visakhapatnam) से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की बस्ती (Basti) के लिए एक मालगाड़ी ट्रेन (Goods Train) रवाना हुई थी। इस ट्रेन को 42 घंटे का सफर तय करके अपनी डेस्टिनेशन यानि बस्ती पहुंचना चाहिए था, लेकिन यह ट्रेन 3 साल की देरी से 2018 में अपनी डेस्टिनेशन तक पहुंच पाई। दावे में यह कहा गया कि ये ट्रेन 1 या 2 घंटे नहींं बल्कि पूरे 3 साल 8 महीने लेट हो गई। 

दावे में और क्या कहा गया?

कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि 2014 में बस्ती के एक बिज़नेसमैन रामचन्द्र गुप्ता ने अपने बिज़नेस के लिए विशाखापत्तनम में इंडियन पोटाश लिमिटेड से करीब 14 लाख रुपये का डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का ऑर्डर दिया था। इन रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 नवंबर 2014 को एक मालगाड़ी पर 1,316 बोरी डीएपी लादी गई थी, जो अपने समय पर तो रवाना हुई लेकिन यह ट्रेन प्लानिंग  के अनुसार अपनी डेस्टिनेशन पर नहीं पहुंची पाई।

क्या है सच्चाई?

सोशल मीडिया पर ये दावा तेज़ी से वायरल हुआ जिसके बाद PIB ने फैक्ट चेक कर इस दावे की सच्चाई बताई है।

PIB ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स (X) पर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसमें इस दावे को मिसलीडिंग यानि गलत बताया गया है। पोस्ट में PIB ने लिखा, कई समाचार रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्टों में दावा किया गया है कि एक मालगाड़ी को अपने गंतव्य तक पहुंचने में तीन साल से अधिक का समय लगा।

#PIBFactCheck यह दावा भ्रामक है और भारतीय रेलवे में किसी भी मालगाड़ी को अपने गंतव्य तक पहुंचने में इतना समय नहीं लगा है।