सागर के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिये अगले दो वर्षो में मानव को गहरे समुद्र में भेजेगा भारत

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि ‘गगनयान’ कार्यक्रम की तर्ज पर ‘समुद्रयान मिशन’ के तहत गहरे सागर के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए अगले दो वर्षो में एक मानव को 5000 मीटर से अधिक गहराई में समुद्र में भेजा जायेगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह


नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि ‘गगनयान’ कार्यक्रम की तर्ज पर ‘समुद्रयान मिशन’ के तहत गहरे सागर के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए अगले दो वर्षो में एक मानव को 5000 मीटर से अधिक गहराई में समुद्र में भेजा जायेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सिंह ने कहा कि भारत का समुद्र तटीय क्षेत्र 7500 किलोमीटर में फैला है और इनमें बड़ी मात्रा में दुर्लभ धातुएं, खनिज एवं अन्य संपदा मौजूद हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन वर्षो से इस क्षेत्र को सरकारों, नीति निर्माताओं ने प्राथमिकता नहीं दी। इस अनछुए सागरीय क्षेत्र में अपार संसाधन और संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने ‘‘डीप सी मिशन’’ या गहरे समुद्र के मिशन की शुरूआत की है।’’

वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में इस मिशन के लिए 600 करोड़ रूपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया गया है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि गहरे समुद्र के रहस्यों को खोलने के लिए समुद्रयान अभियान चेन्नई से शुरू हो गया है जिसके तहत सागर के तल में धातुओं, खनिजों एवं अन्य विषयों पर अध्ययन किया जायेगा।

जितेन्द्र सिंह ने बताया, ‘‘ गगनयान की तर्ज पर अब से करीब दो वर्ष बाद समुद्र के तल में 5000 मीटर से अधिक गहराई में एक मानव जायेगा।’’

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उन्होंने कहा कि ‘‘डीप सी मिशन’’ या गहरे समुद्र के अभियान के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 और 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में इसका जिक्र किया था।

इस मिशन के तहत गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज के लिए एक सागरीय पोत का निर्माण किया जा रहा है जिसका नाम ‘मत्स्य’ रखा गया है।

केंद्र ने पांच साल के लिए 4,077 करोड़ रुपये के कुल बजट में गहन सागर मिशन को स्वीकृति दी थी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये है।

वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में इस मिशन के लिए 600 रूपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया गया है।

इस मिशन में सागर की गहराई में 6 हजार मीटर नीचे ऐसे खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जायेगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा।

इसके तहत शोध कार्यो में हिन्द महासागर के मध्य में उभरे हिस्से का मानचित्र तैयार करना तथा खनिजों की तलाश, समुद्री जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाना शामिल है।

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इस मिशन को शुरू करने के साथ भारत भी अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के साथ उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिनके पास गहरे समुद्र में शोध करने की क्षमता है।

मंगलयान के अगले प्रक्षेपण की संभावना के बारे में पूछे जाने सिंह ने कहा कि मंगलयान भारत का काफी सफल अभियान रहा और उसकी पूरे विश्व में सराहना हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मंगलयान की कार्यावधि 3-4 वर्ष तक समझी गयी थी लेकिन यह 7-8 वर्षो से कक्षा में है। अभी संभवत: उसके सिग्नल और चित्र लेने की क्षमता पहले जैसी नहीं रही लेकिन अभी वह कायम है, यह उसकी उपलब्धि है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंगलयान से प्राप्त चित्र अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा जैसे संस्थान ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी उपलब्धि दुनिया में किसी से कम नहीं है।

सिंह ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यो का जिक्र किया और कहा कि आने वाले समय में देश हरित ऊर्जा का प्रमुख स्थल बनने जा रहा हैं।










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