IIMC Film Festival 2022:आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022 का आगाज, शॉर्ट्स फिल्म को मिलेगा प्रोत्साहन
समारोह की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' के तहत पहले दिन सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आई', सुप्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर मधुरा पालित की फिल्म 'आतोर', राजीव प्रकाश की फिल्म 'वेद' के अलावा 'ड्रामा क्वींस', 'इन्वेस्टिंग लाइफ' और 'चारण अत्वा' जैसी फिल्में प्रदर्शित की गई। पढ़ें पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़
नई दिल्ली: भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने कहा है कि फिल्में समाज के सपनों के साथ संवाद का माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि फिल्मों में यह ताकत होती है कि लोग उन्हें देखने के लिए अपने घरों से निकलकर सिनेमाघर जाते हैं। इसलिए उत्कृष्ट फिल्मों को सराहा जाना भी बहुत आवश्यक होता है।
प्रो. द्विवेदी ने आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के अवसर पर बुधवार को भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022’ एवं ‘राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता’ का शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि समाज को संबोधित करना, उसकी आकांक्षाओं और सपनों से जुड़ना और संवाद करना फिल्मकार के लिए बेहद जरूरी है। लेखक होना आसान काम है, लेकिन फिल्म निर्माण बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि इसमें एक-एक दृश्य, एक-एक संवाद और एक-एक चरित्र पर काम होता है।
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उन्होंने कहा, “ आज मोबाइल फोन की बदौलत कोई भी लघु फिल्म बनाकर अपनी बात कह सकता है। फिल्में संचार का सबसे प्रभावशाली माध्यम हैं। इतना ताकतवर माध्यम न तो कोई देखा गया और न आने वाले समय में कोई होगा। ”
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने कहा कि फिल्मों को संरक्षित करने और सहेजे जाने की आवश्यकता है, क्योंकि ठीक से संरक्षित नहीं करने के कारण 1940 के दशक की कई फिल्में आज खत्म हो चुकी हैं।
प्रो. गौड़ ने कहा,“ फिल्में हमारे इतिहास, परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने तथा समकालीन दौर के समाज के प्रत्येक पहलू को प्रस्तुत करने का माध्यम होती हैं। ऐसे में फिल्में केवल मनोरंजन का ही माध्यम नहीं रह जातीं, बल्कि अकादमिक एवं अनुसंधान गतिविधियों का स्रोत भी बन जाती हैं। ”
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समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि फिल्मों का प्रभाव इस बात से समझा जा सकता है कि 1950 में वी शांताराम की फिल्म 'दहेज' के प्रदर्शन के बाद बिहार में 'दहेज विरोधी कानून' पारित किया गया।
समारोह की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' के तहत पहले दिन सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आई', सुप्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर मधुरा पालित की फिल्म 'आतोर', राजीव प्रकाश की फिल्म 'वेद' के अलावा 'ड्रामा क्वींस', 'इन्वेस्टिंग लाइफ' और 'चारण अत्वा' जैसी फिल्में प्रदर्शित की गई।
इस अवसर पर एनएसडी के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र गौड़, प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं लेखिका मालविका जोशी, प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय एवं फिल्म फेस्टिवल की संयोजक प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र उपस्थित थीं। (यूनिवार्ता)