ICC World Cup: कोई पछतावा नहीं, अगर खेल भावना के अनुसार नहीं है तो आईसीसी नियम बदले: शाकिब

डीएन ब्यूरो

बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन ने आईसीसी विश्व कप मुकाबले में सोमवार को यहां श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज के ‘टाइम आउट’ होने को लेकर हुए विवाद पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

आईसीसी नियम बदले: शाकिब
आईसीसी नियम बदले: शाकिब


नयी दिल्ली: बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन ने आईसीसी विश्व कप मुकाबले में सोमवार को यहां श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज के ‘टाइम आउट’ होने को लेकर हुए विवाद पर कहा कि उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है और अगर यह खेल भावना के विपरीत है तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को इस पर गौर करना चाहिए और नियमों में बदलाव करना चाहिए।

मैथ्यूज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘टाइम आउट’ होने वाले पहले बल्लेबाज बने। मैथ्यूज जैसे ही क्रीज पहुंचे और हेलमेट लगाने लगे तो उसका स्ट्रैप टूट गया। उन्होंने ड्रेसिंग रूम से दूसरा हेलमेट लाने का इशारा किया लेकिन इसमें दो मिनट से अधिक का समय लग गया। इस बीच शाकिब ने मैथ्यूज के खिलाफ टाइम आउट की अपील की और अंपायर मराइस इरासमस ने उन्हें आउट करार दे दिया

शाकिब से जब यह पूछा गया कि क्या उन्हें इस पर कोई पछतावा है तो उन्होंने टीम की तीन विकेट की जीत के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं। हमारा एक क्षेत्ररक्षक मेरे पास आया और कहा कि यदि आप अपील करते हैं, तो नियम कहता है कि वह आउट है क्योंकि उसने समय सीमा के भीतर अपना गार्ड नहीं लिया है। तो फिर मैंने अंपायरों से अपील की, अंपायर ने मुझसे कहा कि आप उसे वापस बुलाएंगे या नहीं। मैंने कहा कि अगर वह आउट है, तो आप उसे वापस बुलाएं, यह अच्छा नहीं लगता। मैंने कहा कि मैं उसे वापस नहीं बुलाऊंगा।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘हम अंडर-19 विश्व कप से साथ खेल रहे हैं इसलिए मैं एंजेलो को 2006 से जानता हूं। हां, यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन नियमों के अनुसार है। हमने श्रीलंका के खिलाफ काफी मैच खेले हैं। मैथ्यूज और मैं एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं ।उन्होंने आकर मुझसे पूछा कि क्या मैं अपनी अपील वापस लेना चाहता हूं या नहीं। मैंने कहा कि मैं आपकी स्थिति को समझता हूं। यह दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता।’’

शाकिब ने कहा कि अगर उनका यह कदम खेल भावना के अनुसार नहीं है तो फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को नियम बदलना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा है तो फिर आईसीसी को इस पर गौर करना चाहिए और नियमों में बदलाव करना चाहिए।’’

शाकिब से जब यह पूछा गया कि अगर वह एक बल्लेबाज के रूप में मैथ्यूज की जगह खुद को रखते हैं तो कैसा महसूस करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सावधान रहूंगा। मेरे साथ ऐसा नहीं होता।’’

श्रीलंका के 280 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेश ने नजमुल हुसैन शंटो (90 रन, 101 गेंद, 12 चौके) और शाकिब (82 रन, 65 गेंद, 12 चौके, दो छक्के) के बीच तीसरे विकेट की 149 गेंद में 169 रन की साझेदारी की मदद से 41.1 ओवर में सात विकेट पर 282 रन बनाकर जीत दर्ज की।

शाकिब ने कहा कि वह जानते थे कि विकेट बल्लेबाजी के लिए अच्छा है और उन्हें सिर्फ अच्छी साझेदारी की जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने दो विकेट खो दिए थे। हमें पारी को संवारना था। हम जानते थे कि विकेट अच्छा है। हमें बस टिके रहना था और साझेदारी बनानी थी जिससे कि दबाव कम हो जाए। हमने ठीक यही किया और जब हमारे पास मौका था तो हमने उसका फायदा उठाया, हमने उन पर पलटवार किया, उन पर काफी दबाव डाला। साथ ही ओस से भी हमें काफी मदद मिल रही थी।’’

बांग्लादेश के कप्तान ने कहा, ‘‘हम जानते थे कि गेंद बल्ले पर आ रही थी, हमें बस टिके रहना था। अगर हमारे में से कोई टिक जाता है तो हम इसे जल्दी खत्म कर सकते हैं। और उसके बाद जब हमने कुछ विकेट जल्दी खो दिए, मैं और शंटो आउट हो गए। हम इसे 41.2 ओवर या कुछ और ओवर में हासिल करना चाह रहे थे जिससे कि हम कुछ टीमों से आगे निकल जाएं। हम यही करना चाह रहे हैं। ऐसा करने की कोशिश में हमें कुछ विकेट गंवाने पड़े। लेकिन अंत में हम जिस तरह से खेले उससे बहुत खुश हूं।’’

विश्व कप से पहले सलामी बल्लेबाज तमीम इकबाल से जुड़े प्रकरण पर शाकिब ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह इस समय मेरे लिए अप्रासंगिक है।’’

यह टूर्नामेंट में बांग्लादेश का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और शाकिब ने कहा कि अगर वे ऐसा पहले कर पाते तो बेहतर होता।

उन्होंने कहा, ‘‘हां, मेरा मतलब है कि अगर शुरुआती मैचों में ऐसा कर पाते तो बेहतर होता। एक या दो मैच अगर हम जीत पाते तो अच्छा होता। इस वक्त हम अच्छी स्थिति में होते। मुझे लगता कि हमने खुद को निराश किया है। मुझे लगता कि हमने टीम के अंदर जो लक्ष्य निर्धारित किया था, जो चीज हमने सोची थी कि हम करने में सक्षम हैं, हम वह नहीं कर सके। तो हम सभी को यही निराशा है।’’










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