यूपी के आईएएस अफसरों की जंग में नया मोड़: हिमांशु ने सीएस को लिखा पत्र, मिनिस्ती के खिलाफ कार्रवाई की मांग

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

11 दिसंबर को शुरु हुआ लेटर-वार अब नये मोड़ पर पहुंच गया है। महिला आईएएस मिनिस्ती एस. के Sexual harassment के धमकी भरे अंदाज से खफा सीनियर आईएएस हिमांशु कुमार ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) और प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) को लंबा-चौड़ा पत्र लिखा है। यह पूरा पत्र डाइनामाइट न्यूज़ के पास है। जो मामले से जुड़े कई तथ्यों पर से पर्दा उठा रहा है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

चर्चा के केन्द्र में आईएएस हिमांशु कुमार और मिनिस्ती एस.
चर्चा के केन्द्र में आईएएस हिमांशु कुमार और मिनिस्ती एस.


नई दिल्ली: यूपी के दो आईएएस अफसरों की लड़ाई में मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर राज्य के जिम्मेदार आला अफसर चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। यदि समय रहते अनुशासन का चाबुक नही चलाया गया तो राज्य के कई विभागों में तैनात आईएएस अफसरों की हालत सीबीआई के वर्मा और अस्थाना जैसी हो जायेगी और इसका बुरा असर सरकारी कामकाज पर पड़ेगा। बड़ा सवाल ये है कि 10 दिनों से ये मामला सुर्खियों में छाया हुआ है और अब तक मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) और प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) ने इस मामले में कोई ठोस हस्तक्षेप नही किया है। 

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विवाद दो आईएएस अफसरों 1990 बैच के आईएएस हिमांशु कुमार और 2003 बैच की आईएएस मिनिस्ती एस. नायर के बीच का है। हिमांशु स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर तैनात हैं तो मिनिस्ती आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के पद पर तैनात हैं और इनके पास आईजी निबंधन व आयुक्त, स्टाम्प की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। 

दोनों तरफ से हुए लेटर-वार के मुताबिक प्रमुख सचिव ने 3 दिसंबर, 11 दिसंबर और 17 दिसंबर को लगातार तीन बार बैठकें बुलायीं लेकिन तीनों ही बैठकों में आईजी निबंधन नही पहुंची। 

डाइनामाइट न्यूज़ के पास उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक लखनऊ में आहूत 11 दिसंबर की दूसरी बैठक में विभागीय मंत्री नंद गोपाल नंदी भी मौजूद थे। यहां कई मसलों पर चर्चा होनी थी, इन्हीं में से एक था गाजियाबाद का मामला, जिस पर चर्चा के लिए बैठक में भाग लेने एक अन्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग तथा कई अन्य विधायक भी पहुंचे थे। 

बैठक में भाग लेना तो दूर मिनिस्ती एस ने अपनी गैरहाजिरी के बाबत कोई सूचना तक शासन को नही भेजी और तो औऱ उन्होंने फोन तक उठाना मुनासिब नही समझा।

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जब इस बारे में 11 दिसंबर को पत्र लिख प्रमुख सचिव ने कारण पूछा तो लौटती डाक से आईजी ने धमकी भरे अंदाज में Sexual harassment at work place के परिधि की परिभाषा बता डाली.. जिससे बात बिगड़ गयी।

इस जवाबी पत्र के बाद अब 17 दिसंबर को प्रमुख सचिव ने 7 पन्नों का एक खत मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय, अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) मुकुल सिंघल और प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) शशि प्रकाश गोयल को लिखा है। 

7 पन्नों का पूरा पत्र

पहला पन्ना
दूसरा पन्ना
तीसरा पन्ना
चौथा पन्ना
पांचवा पन्ना
छठां पन्ना
सातवां पन्ना

 

7 पन्नों के पत्र की महत्वपूर्ण बातें

1. जिस अफसर को आईजी ने भाग लेने भेजा और 12 दिसबंर के पत्र में दावा किया कि वह पूरे मामले को जानता है, उसे मामले की नही थी जानकारी और न ही ले सकता था कोई निर्णय

2. आईजी की लगातार बिन-बताये गैर हाजिरी से काबीना मंत्री बेतरह नाराज

3. प्रमुख सचिव ने अनुरोध किया कि दोनों में से किसी एक अफसर को हटा दिया जाय

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4. मिनिस्ती को किसी महिला अधिकारी के अधीन ही किया जाय तैनात ताकि ऐसी घटनाओं की न हो पुनरावृत्ति

5. Sexual harassment at work place की धमकी उच्चाधिकारी के द्वारा स्वयं के कार्यों एवं दायित्वों पर पर्यवेक्षण, नियंत्रण एवं अनुशासन के डंडे से बचने का है प्रयास

महत्वपूर्ण बात

7 पन्नों के इस पत्र में प्रमुख सचिव ने 8 अहम सवालों के जरिये उच्च अफसरों का ध्यान सिलसिलेवार तरीके से खींचा है और इसकी जांच कराकर सुसंगत नियमों के अधीन यथाविधि विभागीय एवं अन्य कार्यवाही करने की मांग की गयी है।

मिनिस्ती नही दे रहीं हैं कोई जवाब

डाइनामाइट न्यूज़ ने समूचे विवाद पर आईजी का पक्ष जानने की कई बार कोशिश की लेकिन हर बार उन्होंने फोन काट दिया जब उनके कार्यालय पहुंचा गया तो पता चला कि वे आफिस में नही हैं।

दबी जुबान से जबरदस्त चर्चा लेकिन जिम्मेदार बन रहे मामले से अनभिज्ञ

डाइनामाइट न्यूज़ पर जैसे ही ये खबर प्रकाशित हुई है कि यूपी की ब्यूरोक्रेसी में भूचाल: सीनियर आईएएस ने पूछा क्यों रही बैठक से गायब तो महिला आईएएस ने कहा- Sexual harassment तब से राज्य की नौकरशाही में हड़कंप सा मचा हुआ है। सब यह जानना चाहते हैं कि इस विवाद का समाधान क्या निकलेगा? क्या मिनिस्ती एस. Sexual harassment at work place के धमकी भरे अंदाज पर कायम रहेंगी या फिर उसे वापस लेंगी? क्या विवाद के केन्द्र में आये अफसर को स्टाम्प विभाग से हटाया जायेगा?

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तूफान से पहले की शांति तो नही?

फिलहाल प्रथम तल से लेकर पंचम तल के जिम्मेदार अफसर कुछ भी बोलने को तैयार हैं और सब ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे कहीं कुछ हुआ ही नही है। कहीं ये सीबीआई जैसे तूफान से पहले की शांति तो नही?

(साथ में संवाददाता जय प्रकाश पाठक, लखनऊ से)

 

 










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