समाधान पेशेवर ने अदालत से कहा, विमान वापस करने पर ‘खत्म’ हो जाएगी गो फर्स्ट
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि पट्टेदारों को विमान लौटाने से एयरलाइन ‘खत्म’ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एयरलाइन के ऊपर अपने 7,000 कर्मचारियों की जिम्मेदारी है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि पट्टेदारों को विमान लौटाने से एयरलाइन ‘खत्म’ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एयरलाइन के ऊपर अपने 7,000 कर्मचारियों की जिम्मेदारी है।
गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली कई कंपनियों ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से उनके विमानों का पंजीकरण रद्द करने का आग्रह किया है जिससे वे एयरलाइन से अपने विमान वापस ले सकेंगे। इस अपीलों के जवाब में आईआरपी ने यह दलील दी है।
गत 10 मई को (एनसीएलटी) ने एयरलाइन की स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका को स्वीकार कर लिया था और अभिलाष लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था।
यह भी पढ़ें |
हजारीबाग में कोयला खनन कंपनी के अधिकारी की गोली मारकर हत्या
दिवाला समाधान कार्यवाही की वजह से गो फर्स्ट के वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरी करने और अपनी संपत्तियों के हस्तांतरण पर रोक है। इस वजह से पट्टेदार एयरलाइन से अपने विमान वापस नहीं ले पा रहे हैं।
आईआरपी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू के समक्ष कहा कि पट्टेदारों को विमान की वापसी एयरलाइन का अंत होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी प्रक्रिया को बिगाड़ देगा। इसके दुष्परिणाम देखिए... यदि विमान वापस कर दिए जाते हैं, तो यह एयरलाइन का अंत होगा। एयरलाइन में कार्यालय के फर्श की सफाई करने वाले व्यक्ति से लेकर पायलट, चेक-इन काउंटर पर काम करने वाले हजारों कर्मचारी काम करते हैं।’’
यह भी पढ़ें |
दिल्ली के जिम में करंट लगने से बहुराष्ट्रीय कंपनी के प्रबंधक की मौत
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एयरलाइन ने किसी की संपत्ति को जबरन हड़प लिया है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में डीजीसीए की दलीलें सुनने के लिए एक जून की तारीख तय की है।