हरियाणा के पूर्व मंत्री कांडा विमान परिचारिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बरी

डीएन ब्यूरो

दिल्ली की एक अदालत ने विमान परिचारिका गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा को मंगलवार को बरी कर दिया।

अदालत (फाइल)
अदालत (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने विमान परिचारिका गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा को मंगलवार को बरी कर दिया।

अदालत ने कहा कि कांडा ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई कार्य नहीं किया जिससे उनकी विमानन कंपनी में काम करने वाली शर्मा आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुईं।

अदालत ने कहा कि कांडा वास्तव में शर्मा के प्रति आकर्षित थे, जो उसे उनकी कंपनियों में दी गई पदोन्नति और उसे दिए गए उपहारों से स्पष्ट होता है।

विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कांडा और सह-आरोपी अरुणा चड्ढा को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) सहित अन्य धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया। उन्होंने माना कि अभियोजन पक्ष इन आरोपों को साबित करने में असफल रहा कि आपराधिक साजिश के तहत ऐसी परिस्थितियां पैदा की गई जिसके कारण शर्मा के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

शर्मा पहले कांडा की एमएलडीआर विमानन कंपनी में कार्यरत थीं। वह पांच अगस्त 2012 को उत्तर-पश्चिम दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने आवास पर मृत मिली थीं। शर्मा ने चार अगस्त 2012 को लिखे अपने सुसाइड नोट में कहा था कि वह कांडा और चड्ढा द्वारा ‘उत्पीड़न’ किए जाने के कारण आत्महत्या कर रही हैं।

न्यायाधीश ने 189 पन्नों के फैसले में कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष के गवाह यह बयान देकर ‘पर्दा डालने’ की कोशिश कर रहे थे कि शर्मा ने तीन अगस्त, 2012 की रात मुंबई हवाई अड्डे पर बिताई थी, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना थी कि वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ मुंबई में रुकी थी, जिसके साथ उसके शारीरिक संबंध थे। न्यायाधीश ने कहा कि शर्मा की मौत से पहले उसके किसी तरह के शारीरिक संबंध होने की बात उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्ट होती है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि चड्ढा और कांडा ने क्रमशः तीन और चार अगस्त, 2012 को टेलीफोन पर बातचीत में शर्मा की मां के समक्ष परिवार के शुभचिंतक होने या ईर्ष्यावश इस तथ्य का खुलासा किया जिसके कारण चार अगस्त, 2012 को मुंबई से लौटने पर शर्मा और उसकी मां के बीच झगड़ा हुआ और उसके बाद गीतिका शर्मा ने आत्महत्या कर ली।’’

न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि शर्मा ने सुसाइड नोट में अफसोस जताया कि उसने आरोपियों पर भरोसा करके अपने जीवन की एक बड़ी गलती की है, यह आरोपी व्यक्तियों द्वारा उसके गर्भपात और तीन अगस्त, 2012 को मुंबई में रुकने के बारे में जानकारी साझा करके उसके विश्वास को तोड़ने के संदर्भ में हो सकता है।’’

अदालत ने कहा कि शर्मा के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के अनुसार,चार अगस्त 2012 को उसके मोबाइल नंबर लगभग छह फोन किए गए थे जिनमें से तीन फोन उसके भाई अंकित के थे और जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा शेष तीन कॉल के संबंध में कोई जांच नहीं की गई थी।

फैसले में कहा गया, ‘‘जांच अधिकारी के लिए उन तीन फोन की जांच जरूरी थी, जिनमें से दो फोन एक ही मोबाइल नंबर पर किए गए और उनकी अवधि क्रमशः 192 और 155 सेकंड थी, जिसे चार अगस्त 2012 को गीतिका शर्मा ने उठाया था। ये फोन मौत से पहले किए गए थे और शर्मा की आत्महत्या पर कुछ प्रकाश डाल सकते थे।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि शर्मा को किसी परिचित व्यक्ति ने चार अगस्त 2012 को फोन किया और उसे उकसाया, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ यह असमान्य है कि मृतका की मां ने चार-पांच अगस्त 2012 की दरमियानी रात को बगल के कमरे में सो रही शर्मा को रात को फोन किया और इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले झगड़े के कारण मां, बेटी का हालचाल जानने की कोशिश कर रही हो।’’

अदालत ने कहा कि गवाहों द्वारा दिए बयान से यह संकेत नहीं मिलता कि शर्मा को पदोन्नति देकर या उसे एमडीएलआर ग्रुप के समन्वयक के रूप में नियुक्त करने के पीछे कांड की मंशा उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाने की थी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह अदालत के रिकॉर्ड पर साबित हुआ है कि आरोपी व्यक्तियों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला कोई काम नहीं किया था।’’ उन्होंने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि दोनों आरोपी 2006 से जून, 2012 तक शर्मा को परेशान कर रहे थे।

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूत नष्ट करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) सहित अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

निचली अदालत ने कांडा के खिलाफ बलात्कार (376) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के आरोप भी तय किए थे, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाद में आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत लगाए आरोपों को खारिज कर दिया था।

शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज होने के बाद कांडा को हरियाणा के गृह राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

बरी होने के बाद कांडा ने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं था। पूरा मामला गढ़ा गया था।’’

वहीं, शर्मा के परिवार ने 11 साल के ‘‘भावनात्मक कष्ट’ के बाद आए फैसले पर ‘आश्चर्य’ व्यक्त किया।

गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा ने कहा, ‘‘मेरे 66 वर्षीय पिता इस फैसले से स्तब्ध हैं।’’ उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, ‘‘हम अपनी जान को लेकर भयभीत हैं यह जान पर खतरे वाली स्थिति है।’’

अंकित शर्मा ने कहा कि परिवार के पास इस मामले को आगे ले जाने के लिए संसाधन नहीं है। उन्होंने सरकार से फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अनुरोध किया।

 










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