एम्स में आग: मरीजों को सुरक्षित देख परिजनों ने ली राहत की सांस

डीएन ब्यूरो

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आग लगने की घटना के बाद 16 वर्षीय नाजनीन परेशान हो उठी क्योंकि उसकी मां इमारत के उसी हिस्से में भर्ती थी और एंडोस्कोपी के लिए एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देने की वजह से बेहोशी की हालत में थीं।

एम्स में आग (फाइल)
एम्स में आग (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आग लगने की घटना के बाद 16 वर्षीय नाजनीन परेशान हो उठी क्योंकि उसकी मां इमारत के उसी हिस्से में भर्ती थी और एंडोस्कोपी के लिए एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देने की वजह से बेहोशी की हालत में थीं।

एम्स के पुराने ओपीडी भवन की दूसरी मंजिल पर जैसे ही घना धुआं फैलने लगा, नाजनीन और वहां इंतजार कर रहे अन्य मरीजों और परिवार के सदस्यों को तुरंत बाहर निकाला गया। अफरा-तफरी के माहौल में वह बस अपनी मां की सुरक्षा के बारे में चिंता कर सकती थी।

दिल्ली के नांगलोई की रहने वाली नाजनीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैं अपनी मां के साथ एम्स गई थी क्योंकि उनकी एंडोस्कोपी होनी थी। उन्हें पहले से ही एनेस्थीसिया दिया गया था और वह मेज पर थीं जबकि मैं कमरे के बाहर इंतजार कर रही थी, तभी आग लग गई।’’

उस समय मची अफरा-तफरी के बारे में नाजनीन ने बताया, ‘‘उस क्षेत्र में घना काला धुआं भर गया था जिसकी वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे अपनी मां के बारे में कुछ भी पता नहीं था क्योंकि वह तब तक बेहोश थीं। मुझे तब राहत मिली जब करीब 15-20 मिनट के बाद उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर लाते हुए देखा।’’

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पुराने ओपीडी भवन की दूसरी मंजिल पर एंडोस्कोपी कक्ष में आग लगने से मरीजों, उनके तीमारदारों और अस्पताल के कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई।

आग में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। हालांकि, आग लगने का कारण अब भी पता नहीं चल पाया है। अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि आग के कारण पुराने ओपीडी भवन में एंडोस्कोपी, आपातकालीन और डायग्नोस्टिक्स सेवाओं को रोकना पड़ा। अब आपातकालीन सेवाएं बहाल की जा रही हैं।

आग लगने के बाद बचाए गए लोगों में आपातकालीन चिकित्सा वार्ड में भर्ती तन्नु देवी भी थीं। उनकी बेटी किरण ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आपात चिकिस्ता क्षेत्र में अचानक धुआं भर गया। हम बहुत डर गए थे लेकिन अस्पताल के कर्मचारी हरकत में आए और हमें बाहर निकाला। मैं अपनी मां के लिए बहुत चिंतित थी।’’

कुछ मरीजों को सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। आपात चिकित्सा इकाई के बाहर भर्ती होने का इंतजार कर रहे कई अन्य लोगों को भी पास के अस्पताल में जाने के लिए कहा गया।

उत्तर प्रदेश के बरेली के ध्रुव पाल ने कहा कि वह अपने बेटे के इलाज के लिए दिल्ली आए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं न्यूरोलॉजी विभाग में बेटे का इलाज कराने के लिए 300 किलोमीटर की दूरी तय करके आया हूं। मैं सुबह पहुंचा और पाया कि आपात चिकित्सा वार्ड में आग लग गई है, मुझे घर वापस जाना होगा और किसी और दिन आना होगा।’’

एम्स ने बयान जारी कर कहा कि सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर एम्स की मुख्य इमारत में राजकुमारी अमृत कौर पुरानी ओपीडी की दूसरी मंजिल पर आग लगने की सूचना मिलने पर पुलिस और अग्निशमन कक्ष को सूचित किया गया।

बयान में कहा, ‘‘एम्स की अग्निशमन सेवा ने तुरंत ही आग पर काबू पा लिया था। कुछ देर बाद ही दिल्ली अग्निशमन सेवा के कर्मचारी भी यहां पहुंच गए, जिन्होंने क्षेत्र को ठंडा करने में सहयोग किया।’’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम ने घटनास्थल का दौरा करके पता लगाया कि आग लगने की शुरुआत दूसरी मंजिल के भंडारण कक्ष से हुई थी, यह कक्ष बहुत लंबे समय से बंद था।

वहीं, अग्निशमन विभाग के अधिकारी ने बताया कि सुबह करीब 11 बजकर 55 मिनट पर आग लगने की सूचना मिलते ही 13 दमकल गाड़ियों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया और दोपहर एक बजे आग पर काबू पा लिया गया।

एम्स सूत्रों ने बताया कि आग बुझाने के लिए अस्पताल के भूमिगत टैंक के पानी का भी इस्तेमाल किया गया। सूचना पाकर पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई और इलाके की घेराबंदी कर दी।

एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, ‘‘जब आग लगी उस समय एंडोस्कोपी कक्ष में दो मरीजों का इलाज चल रहा था। प्रतीक्षा क्षेत्र में लगभग 80 लोग मौजूद थे। घटना का पता लगने पर सभी को बाहर निकाल लिया गया।’’

 










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